इन लड़कियों ने अनाथ बच्चों के लिए किया ऐसा काम कि बड़े भी रह गए हैरान

आज कल के बच्चे जहां अपने आप में मस्त रहने वाले और सोशल मीडिया व गेम्स में घंटों समय ऐसे ही बिता देते हैं, वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो अपने कारनामों से बड़ों को भी हैरान कर देते हैं। राजस्थान की तीन बेटियों ने मिलकर जब अनाथाश्रम के बच्चों की परवरिश करने की जिम्मेदारी ली तो लोग हैरान थे कि इतनी कम उम्र में इतनी अक्ल कहां से आई इन बच्चों में।
अपना घर परिवार छोड़कर अनाथ बच्चों की मदद करने के लिए ये तीनों लड़कियां अपने स्कूल के बाद दुकान लगाती हैं और उसमें जो भी आमदनी होती है वो अनाथ बच्चों की मदद के लिए दे देती हैं। राजस्थान के तलवंडी की रहने वाली ये तीन लड़कियां आद्या, मान्या और प्रिया खुद अभी स्कूल पढ़ने जाती है लेकिन इतनी कम उम्र में इनकी सोच बड़े बुर्जुगों से कहीं परे हैं। बच्चों की मदद के लिए ये लड़कियां छोटा सा स्टाल लगाती हैं जिसपर कोल्डड्रिंक व अन्य ठंडे पेय पदार्थ मिलते हैं। इस दुकान से जितनी कमाई होती है वो ये तीनों अनाथ आश्रम के बच्चों सौंप देती हैं। इस दुकान का नाम APN है जो इन तीनों के नामके पहले अक्षर से मिलकर बना है।
आद्या चौथी, प्रिया सातवीं व मान्या कक्षा आठ की छात्रा हैं। एक बार जब ये लड़कियां शहर के एक अनाथाश्रम गईं तो वहां पर छोटे छोटे बच्चों को देखकर ये हैरान थीं। उन्हें गोद में खिलाने के बाद इन्होंने सोचा कि जरूर वो इन बच्चों के लिए कुछ करेगीं। आद्या महज 10 साल की थी वो इन बच्चों की मदद कैसे करती ऐसे में उसकी तीन साल बड़ी बहन प्रिया और दोस्त मान्या ने भी साथ में कुछ करने का फैसला किया। अभी ये समस्या थी कि आखिर वो तीनों क्या कर सकती थीं। बहुत सोचने के बाद उन्होंने ये फैसला किया कि वो खाने पीने की ऐसी चीजें बनाकर बेचें जिनमें ज्यादा पैसे न लगे। इसमें आमपना, नींबूपानी, कॉकटेल, जलजीरा व रुहअफजा आदि थे।

इन चीजों को बनाने के लिए भी थोड़े पैसे की जरूरत थी इसलिए इन लोगों ने डरते डरते अपनी मम्मी को प्लान बताया। मां अपनी बेटियों के इस नेकर इरादे से खुद हुईं और 1200 रुप उन्हें मिल गए साथ ही उनके दुकान लगाने की जगह भी तय करा दी। दुकान की टैग लाइन रखी गई खुशियां खरीदें, इसके पैम्पलेअ छपवाकर उन्होंने अपने दोस्तों, पड़ोसी व रिश्तेदारों में बोट दिए। तीन दिन के अंदर ही दुकान से 5000 रुपए की कमाई हो गई।
तीनों लड़कियों का ये बेहतरीन आइडिया हिट हो गया था। कई एनजीओ ने उन्हें बढ़ावा दिया तो कुछ अभिवावकों ने अपने बच्चों को भी इस नेक काम में जोड़ दिया। ये बच्चे अब कई स्कूलों के मेले में भी स्टॉल लगाने के लिए बुलाये जाते हैं जिससे और बच्चे इनसे कुछ सीख सकें। इन गर्मी की छुट्टियों में ये सब बच्चे मिलकर एक बड़ा सा मेला लगाएंगे और जो भी फायदा होगा वो अनाथाश्रम के बच्चों को दे देगें।
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