मिसाल! इस गांव में एक लड़की के पैदा होने पर रोपे जाते हैं 111 पेड़

भारतीय समाज में आज भी बेटी के पैदा होने पर सबसे बड़ी चिंता उसकी शादी को लेकर ही की जाता है। कई जगहों पर बेटी को लेकर हालात इतने बुरे हैं कि वहां बेटी पैदा करने वाला सबसे बड़ा गुनहगार माना जाता है। लेकिन राजस्थान में एक जगह ऐसी भी ही है जहां इन सभी कुरीतियों से निजात पाने का तरीका लोगों ने ढूंढ निकाला है।
राजस्थान के राजसमंद जिले का एक गांव देशभर के लिए मिसाल है। दरअसल इस गांव में एक अनूठी परंपरा है। इस परंपरा के मुताबिक यहां बेटी के जन्म पर यहां 111 पौधे लगाए जाते हैं। यह रीत पिछले कई सालों से चल रही है। इस पहल के कारण यहां हर ओर हरियाली है। अब तक यहां लाखों की संख्या में पौधे लग चुके हैं। यह परंपरा 2006 से चली आ रही है।
कैसे शुरू हुई परंपरा
2006 में गांव के सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने अपनी बेटी की मौत के बाद गांव के हर घर के लिए यह नियम बना दिया कि गांव में बेटियों के जन्म पर लोगों को 111 पेड़ लगाने होंगे। आज यह गांव पंचायत बेटी, पेड़ और पानी को जोड़कर बेटियों और पर्यावरण दोनों को बचा रही है।
बेटी के जन्म पर गांव वाले करते हैं मदद
इस गांव में बेटियों के जन्म पर न केवल पेड़ लगाने का चलन है बल्कि लगभग 8500 की आबादी वाली इस पंचायत में जिस परिवार में बेटी का जन्म होता है, उसके नाम पर गांव वाले बैंक में 21 हजार रुपए की एफडी भी करवा कर देते हैं। अगर परिवार सक्षम होता है तो परिवार के मदद से उसके खाते में 31 हजार रुपए जमा कराए जाते हैं। जब बेटी शादी के उम्र की हो जाती है तब उसके परिवार को ये सहायता राशि दे दी जाती है।
पेड़ लगाने साथ लेनी पड़ती है शपथ
यहां बेटियों के जन्म पर लगाए गए पेड़ के साथ ही परिवारवालों को एक शपथ भी लेनी होती है। इस शपथ के मुताबिक उन्हें लिखित रुप से ये आश्वासन देना होता है कि वो बेटी और पौधों की समान रूप से देखभाल करेंगे। इतनी ही नहीं बेटी को पढ़ाएंगे और उसका बाल विवाह नहीं करेंगे।
अब तक 3 लाख से ज्यादा पेड़ लग चुके हैं
पेड़ लगाने की योजना के तहत अब तक करीब 3 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। इस योजना को बेहतर ढंग से लागू कर इतने सालों तक चलाने के लिए इस गांव को साल 2008 में निर्मल ग्राम पुरस्कार मिल चुका है।
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