कभी पानी के लिए तरसने वाले इसे गाँव में कैसे लहलहाने लगी फसल

खेती पर निर्भर किसी गाँव में जब पानी की किल्लत हो तो सोचिए क्या होगा। मध्यप्रदेश के छोटा बिहार गाँव के किसानों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी कि उनकी फसलें कभी हरी-भरी होकर लहलहाएंगी लेकिन कहते हैं नामुमकिन कुछ नहीं होता बस जरूरत है लगन और विश्वास की। आज गाँव वाले खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं आइए जानते हैं इस चमत्कार के पीछे की कहानी।
मध्य प्रदेश की राजधानी से 350 किमी. दूर एक गाँव है छोटा सा बिहार, 250 परिवार वाले इस गाँव की रोजी रोटी खेती पर ही टिकी है लेकिन इसके बावजूद यहां सिंचाई के लिए पानी का न होना किसानों की सबसे बड़ी मुसीबत थी। पानी की कमी से खेती में न ही उत्पादन हो पा रहा था और न लागत मिल पा रही थी। गाँव के कुछ लोग मजदूरी करने शहर गए तो वहां से भी नाउम्मीद होकर लौटे।
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साल 2008 में गाँव के दिन बदले जब जब एनएम सदगुरु वॉटर ऐंड डिवेलपमेंट फ़ाउंजेशन नाम के एक एनजीओ ने इस गाँव में पानी की कमी को दूर करने का जिम्मा अपने सिर ले लिया। वैसे तो इस संस्था ने देश के 9 राज्यों को चुना था लेकिन छोटा बिहार गांव भी इस लिस्ट में शामिल था। संस्था ने कोई चमत्कार नहीं किया बल्कि गाँव में ही मौजूद साधन का सहारा लिया। इस गांव में सुखेन नाम की नदी बहती है, जो नर्मदा नदी की ही सहयोगी नदी है। सुखेन नदी की मदद से करीबन 100 एकड़ ज़मीन की सिंचाई की जा सकती है।

गाँव में ऐसे पहुंचा पानी
एनजीओ की प्रोग्राम मैनेजर सुनीता चौधरी ने योर स्टोरी को बताया कि हमने गाँव के अंदर की समस्या का हल ढूंढ लिया था। हमने मिट्टी की गुणवत्ता, रोज़गार के प्रकारों, नदी के पानी की स्थिति और आबादी जैसे सभी जरूरी चीजों पर पहले सर्वे किया। उसके बाद जो रिजल्ट आए उसी के हिसाब से कैसे काम करना है इसका बंटवारा किया। गाँव में संस्था के चार सदस्य मदद के लिए रखे गए। कोका-कोला इंडिया फ़ाउंडेशन ने भी इस प्रोजेक्ट में मदद की। वहां के सीनियर मैनेजर राजीव गुप्ता ने बताया कि एक समय तक जिन जहां पानी की भारी किल्लत थी, वहां अब हर हफ़्ते किसान 50 लीटर तक पानी का इस्तेमाल कर पा रहे हैं और सही कारण है कि उनकी फसलों का उत्पादन दो गुना हो रहा है।
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आज खेती से हो रहा है अच्छा मुनाफा
कोका-कोला इंडिया फ़ाउंडेशन और एनजीओ ने साथ मिलकर झाबुआ ज़िले में 23 नए चेक डैम्स (बांध) बनाए और इसके अलावा पुराने 6 बांधों को भी दोबारा जीवंत किया।
बता दें कि चेक डैम्स का मुख्य उद्देश्य पानी को उसके सोर्स के पास ही स्थाई रखना है। एक निश्चित निकासी की व्यवस्था की मदद से अन्य जगहों पर पानी के भंडारण का इंतज़ाम किया जाता है। अगर किसी बांध का पानी ओवरफ़्लो करने लगता है तो पानी को अन्य बांधों की तरफ़ बढ़ा दिया जाता है। इस प्रक्रिया की मदद से भूमिगत जल का स्तर भी बेहतर होता रहता है।
दोनों संस्थाओं के प्रयास से आज छोटा बिहार गाँव के किसानों को मजूदरी के लिए अपने परिवार से दूर नहीं जाना पड़ता बल्कि वो खेती से ही अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
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