इस टीचर ने अपने खर्चे से सरकारी स्कूल की कायापलट दी, PM ने भी की तारीफ

कहते हैं एक अच्छा शिक्षक बच्चों का भविष्य संवार सकता है और ये बात 100 फीसद सच है। कई ऐसे टीचर भी हैं जो अपने अनोखे प्रयासों से स्कूलों की कायापलट देते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसी ही टीचर है ममता मिश्रा (Mamta mishra) जो बच्चों को सिर्फ नौकरी के लिए न

सरकारी स्कूल की कायापलट दी—

सरकारी स्कूल ऐसे तो यूपी में अपनी बदहाली के लिए जाने जाते थे लेकिन वो दौर अब खत्म हो रहा है। ममता मिश्रा के प्रयास ने उनके भी स्कूल की कायापटल दी है। गांव में अब कोई भी प्राइवेट स्कूल (Private school) में पढ़ने नहीं जाता बल्कि उनके लिए वो स्कूल ही बेस्ट है।

यहां हर बच्चा पढ़ाई में अव्वल है और स्कूल खुद अपने मन से आने के लिए सुबह-सुबह तैयार हो जाता है। स्कूल को ऐसा बनाने के लिए ममता को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है बल्कि उन्होंने अपने निजी संसाधनों से इस स्कूल को प्राइवेट स्कूल जैसा सुंदर, साफ और सुविधाओं वाला बना दिया है। लॉकडाउन(Lockdown) के बाद से वो अब बच्चों को  दीक्षा ऐप (Deeksha App) के ज़रिये पढ़ा रही हैं। हीं पढ़ाती बल्कि दिल से पढ़ाती हैं। 

प्रयागराज के विकासखंड चाका में रहने वाली ममता मिश्रा एक टीचर हैं और उनके पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग हैं। अंदाज कुछ ऐसा हैं कि हर कोई मुरीद हो जाए। ममता एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाती हैं। वो पढ़ाने में नए-नए इनोवेशन तलाशती हैं और सही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी को भी उनका ये अंदाज भा गया। उन्होंने न सिर्फ ममता के पढ़ाने की तारीफ की थी बल्कि ‘मन की बात’(Mann ki baat) में भी उनका जिक्र किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने ममता को एक प्रोत्साहन पत्र भी लिखकर दिया जिससे उनका मनोबल और बढ़ सके। 

पढ़ाई के साथ होती हैं अलग तरह की गतिविधियां–

ममता ने अपने स्कूल में पढ़ाई के साथ ही कई सारी गतिविधियां (Other Activites) भी शुरू कराई थीं जिससे बच्चों का मन स्कूल में लग सके। उन्होंने स्मार्ट क्लासेज (Smart classes) के जरिए पढ़ाई को रोचक बनाया। आम तौर पर सरकारी स्कूल में बच्चों को जमीन में बैठकर पढ़ना होता है लेकिन ममता ने अपने स्कूल में अपने पैसों से  बच्चों को पढ़ाने के डेस्क व बेंच खरीदे।

मोबाइल, टेबलेट, प्रोजेक्टर भी उन्होंने अपनी ही सैलरी से खरीदे हैं जिससे बाद बच्चों को नए टेक्निक से पढ़ाया जा रहा है और नया होने के कारण बच्चों का मन भी लगता है। 

मां हैं रोल मॉडल, उनके जैसी ही टीचर बनीं–

ममता ने बताया कि उनकी पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय में हुई और उसके बाद उन्होंने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से  स्नातक, बी.एड. (B.ED) व परास्नातक उत्तीर्ण किया। मममा की मां भी एक एक शिक्षिका हैं और बचपन से ही उन्होंने मां को बड़ी मेहनत व ईमानदारी से बच्चों को पढ़ाते हुए देखा था।

वो उन्हें अपना रोल मॉडल (Roll model) मानते हुए उनके जैसी ही टीचर बनना चाहती थीं जिससे गरीब बच्चों के जीवन में कुछ अच्छा कर सकें। ममता के अनुसार, गांव-देहात में सरकारी स्कूलों में रीजनल भाषा समेत पढ़ाई को गंभीरता से  होने की समस्या है। ममता (Mamta mishra) ने कहा गांव में बच्चों को पढ़ाने में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनके मां बाप भी पढ़ाई की गंभीरता को नहीं समझते हैं।

इसके पीछे की वजह गरीबी है। गांवों में सरकारी स्कूलों (Government schools)में गरीब बच्चे ही आते हैं पढ़ने और मां बाप उनसे बाकी ऐसे काम भी लेते हैं जिससे कुछ कमाई हो सके। ऐसे में पढ़ाई से ज्यादा जरूरी पैसा कमाना होता है। ममता ने पहले परिवारों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया और उसके बाद बच्चे नियमित स्कूल आने लगे। अब यहां के बच्चे अंग्रेजी भी बोलते हैं और पढ़ाई के साथ खेल में भी तेज हैं। 

पढ़ाने के लिए इंटरनेट का सहारा-

बच्चों को रूझान पढाई की ओर लाने के लिए ममता ने इंटरनेट का सहारा लिया। उन्होंने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया (Digital India) को साकार करने के लिए बच्चों के पढ़ाई में ऑडियो-वीडियो तकनीक का इस्तेमाल किया। उन यूट्यूब पर एक चैनल है जिसका नाम MAMTA ANKIT है। इस चैनल में वो नए-नए वीडियोज डालती हैं जिन्हें देखकर बच्चे तो सीखते हैं बाकी टीचर भी सीख सकते हैं कि पढ़ाई को कैसे रोचक बनाया जा सकता है। 

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