ये है राजस्थान का अनोखा स्कूल, इंजन में है ऑफिस और ट्रेन में पढ़ते हैं बच्चे

ये तस्वीर देखकर आपको लगेगा कि ये किसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन की हैं लेकिन ऐसा नहीं है ये असल में राजस्थान का एक सरकारी स्कूल है जो अलवर जिले में है। ये अपनी विशेष बनावट के कारण लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना है।
जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की लचर व्यवस्था की खबरें आती हैं वहीं दूसरी ओर राजस्थान के अलवर जिले का ये सरकारी स्कूल देश भर के सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल बन कर आगे आ रहा है। दूर से किसी रेलवे स्टेशन जैसा दिखने वाला ये स्कूल बच्चों को अपनी ओर खींचता है।
बच्चे अपने मन से रोज पढ़ने आए इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर इस स्कूल को ट्रेन जैसे बना दिया गया है। गवर्नमेंट सीनियर सेकंड्री स्कूल रेलवे स्टेशन नाम के इस स्कूल में बच्चों का पढ़ने भेजने के लिए मां बाप को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती बल्कि बच्चे खुद ही तैयार होकर समय पर यहां पहुंच जाते हैं। खास तौर पर यहां आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के ही बच्चे आते हैं। पहले ये स्कूल एक रेलवे स्टेशन के पास ही था लेकिन बाद में इसे अलग शिफ्ट किया गया।
स्कूल के प्रधानाचार्य पुरुषोत्तम दास गुप्ता का कहना है कि उन्होंने स्कूल का रंग-रोगन ट्रेन की तरह इसलिए करवाया है ताकि बच्चों को यहां पढ़ने के लिए आकर्षित किया जा सके। लोग सरकारी स्कूलों की खस्ताहाल हालत देख कर ही प्राइवेट स्कूल का रुख करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए अगर सरकारी स्कूल में पढ़ाई अच्छी होने लगे तो प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी फीस वसूल ही न पाएं। सरकारी स्कूल्स की बिल्डिंग्स के डिजाइन्स ऐसे होने चाहिए, जो बच्चों को गर्व महसूस करा सकें।

पूरे स्कूल को एक ट्रेन और रेलवे स्टेशन की तरह रंगा गया है। स्कूल में एक से लेकर पांच तक की कक्षाएं हैं जो ट्रेन के पांच डिब्बों में चलती हैं। अंतिम कक्षा की दीवार को ट्रेन के अंतिम डिब्बे की तरह ही हू-बहू रंग गया है। इसके साथ ही स्कूल प्रिंसिपल के कमरे को ट्रेन का इंजन बनाया गया है, जिससे कि ये पूरी एक ट्रेन की तरह ही लगता है। इसके अलावा स्कूल के बरामदे को भी बिलकुल प्लेटफ़ॉर्म की तरह ही पिलर आदि के पैटर्न से सजाया गया है। दूर से देखने ये स्कूल किसी प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी ट्रेन की तरह दिखता है। स्कूल की चार दीवारों को भी माल गाड़ी के रंग में रंग गया है।
सरकारी स्कूल को ट्रेन की तरह बनाने का श्रेय जिला सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के जूनियर इंजीनियर राजेश लवानिया को जाता है। राजेश लवानिया बताते है,हम छात्रों को एक बिल्कुल ही अलग स्कूल देना चाहते हैं, ताकि वो भी दूसरों के सामने अपने स्कूल के बारे में गर्व से बता सकें। साथ ही वे कहते हैं, आगे हम दो कक्षाओं को जयपुर-दिल्ली डबल डेकर ट्रेन और अन्य दो कक्षाओं को अजमेर- दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस जैसे रंग में रंग लेंगे।
स्कूल नये सत्र के लिए पूरी तरह तैयार है, स्कूल प्रशासन का कहना है कि स्कूल में बदलाव के बाद से बच्चों के मन में इस स्कूल में पढ़ने की उत्सुक्ता बढ़ रही है। बच्चे बहुत ज्यादा उत्साहित है, अब बच्चों की उपस्थिति भी ज्यादा रहती है और संख्या भी। बच्चे कक्षा में पूरे मन से बैठते हैं।
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