आइए इस बार करें हैंडीक्रॉफ्ट कलाकारों की दिवाली रोशन
दिवाली रोशनी, खुशी और उल्लास का त्योहार है। घरों में हफ्तों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं, नई कपड़े, सजावट के सामान, मूर्तियां ऐसी तमाम चीजें हैं जो हमें खरीदनी होती हैं। ये सामान बड़े-बड़े मॉल से लेकर छोटी बड़ी हर दुकान में आपको मिल जाएंगे। लेकिन एक तबका और है जो बड़ी मेहनत से बिल्कुल अलग तरह के प्रोडेक्ट तैयार करता है लेकिन ज्यादा प्रचार-प्रसार न होने के कारण हम तक नहीं पहुंच पाता है।
जी हां ये हैं, हमारे देश में लाखों महिलाएं हैं जो बिना घरों से बाहर निकले ही खूबसूरत और यूनीक चीजें बनाती हैं तो क्यों न इस दिवाली हम किसी बड़े मॉल या फैक्ट्री में तैयार प्रोडेक्ट्स न लेकर हैंडमेड ये सामान खरीदकर इनकी दिवाली भी रोशन कर दें।
आर्टिस्ट इंडस्ट्री कृषि के बाद विकासशील देशों का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र हैं जहां कमा करने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा है। सेंसेड के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 68.86 लाख कलाकार हैं, जिसमें लगभग 55 प्रतिशत महिलाएं हैं।
मिथिला स्मिता
मधुबनी कला और महिलाओं के सहयोग के लिए इतिश्री शांडिल्य ने मिथिला स्मिता की नींव रखी। जहां बिहार की लोककला मधुबनी के खो रहे अस्तित्व को दोबारा से पहचान मिल सके। इति श्री बताती हैं, कई सारी चुनौतियां, कला के इतिहास की कम जानकारी, शिक्षा का अभाव और मार्केटिंग का न होना कई कलाकारों की पहचान को खो देता है। मिथिला स्मिता मधुबनी कला से जुड़ी कई चीजों को आगे बढ़ाती है। गांव की महिलाएं जिन्हें ये कला आती है लेकिन वो उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं उनको इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया। ये एक प्रयास है मधुबनी जैसी लोक विरासत को खत्म होने से बचाने की। हमारे यहां महिलाएं जो पेंटिंग्स बनाती हैं उन्हें बड़ी-बड़ी जगहों की म्यूजियम में रखवाया जाता है। जो भी प्रोडेक्ट बिकता है वो पैसा सीधा इन महिलाओं तक पहुंचाया जाता है। हमारी ArtnHer नाम की वेबसाइट है जहां से लोग कई सारे सामान ले सकते हैं जिनपर मधुबनी की छाप है।
लाल10
मनीत गौहिल का ट्रैवल और ज्यादा से ज्यादा लोगों से बात करने के शौक ने लाल10 की स्थापना की। ये एक ऐसा ई कॉमर्स प्लेटफार्म हैं जहां अलग-अलग राज्य व धर्म से जुड़ी महिलाएं अपने क्षेत्र की पहचान से जुड़ी खास चीजें खाने का सामान, सजावट का सामान, कपड़े आदि बनाती हैं। लाल10 ने ग्रामीण व शहरी कलाकारों के बीच के गैप को खत्म किया है। यहां निफ्ट के छात्रों का भी एक ग्रुप है, जो इन कलाकारों की मदद करता है। वो इन प्रोडेक्ट की फोटो और कलाकारों के इंटरव्यू लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करता है जिससे इनका प्रमोशन हो सके और इनके प्रोडेक्ट ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें।
कलाघर
अगर आपको हस्तशिल्प और कला से जुड़ी चीजें पसंद हैं तो ओडिशा आपके लिए एकदम सही जगह है। यहां पिपिली के सजावटी काम से लेकर पेंटिंग्स, नाजुक चांदी की रस्सी वाली ज्वैलरी, परखेलमुंडी की सींग का काम और आदिवासी ढोकरा की मूर्तियां बनती हैं। राज्य में इस काम में 1.3 लाख दस्तकार हैं, लेकिन उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। इन्हें कम करले की कोशिश की दो बहनों शिप्रा व मेघा ने। इन दोनों ने KalaGhar की नींव रखी जो मार्केटिंग की समस्या को दूर करने के साथ उनके उत्पादों को भी बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इस प्लेटफॉर्म पर आदिवासी समाज के लोगों के प्रोडेक्ट को बेचा जाता है जो ढोकरा व सबाई घास से बनाए जाते हैं। इनसे पेन स्टैंड,ईयरिग्ंस, सजावट के सामान, ब्रेसलेट और भी कई ज्वेलरी बनाई जाती हैं जो KalaGhar के जरिए सीधे ग्राहकों तक पहुंच सकती हैं।
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