इस स्कूल में बच्चे के एडमिशन के लिए अभिभावक को लगाना होता है एक पौधा

शिक्षा के मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं जाता, अगर मां सरस्वती मेहरबान हैं तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। इसीलिए हर युग में शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है, हालांकि आज जब हम बात भारत की करते हैं तो यहां अभी भी एक वर्ग सिर्फ फीस न चुका पाने के कारण इससे वंचित रह जाता है।
हम आपको आज एक ऐसे ही प्रयास के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मुफ्त में शिक्षा दी जाती है, जी हां! ये जरूर है फीस के एवज में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों को एक पेड़ लगाना पड़ता है। यह सुविधा उन्हीं लोगों को दी जाती है जिसके पास पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। शिक्षा कुटीर में अभी इस तरह के 35 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
'शिक्षा कुटीर' में एक पेड़ लगाने से मिल जाता है एडमिशन
ये कहानी है छ्त्तीसगढ़ के एक गांव की, यहां शिक्षा कुटीर नाम के एक स्कूल बिना फीस के बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाती है। बदले में फीस के तौर पर अभिभावकों को एक पेड़ लगाना होगा। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के बरगई गांव में ‘शिक्षा कुटीर’ आदिवासी बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह स्कूल इस जिले का पहला ऐसा इंग्लिश मीडियम स्कूल है जहां फ्री में पढ़ाई होती है और मुफ्त में ही बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म दिए जाते है।
पेड़ की जिम्मेदारी अभिभावकों के जिम्मे
अंबिकापुर जिले के बरगई गांव में ‘शिक्षा कुटीर’ की सबसे खास बात ये है कि जो पेड़ अभिभावक अपने बच्चे की फीस के तौर पर लगाते हैं, उनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी उन्हीं अभिभावकों की ही होती है। अगर जो पौधा अभिभावक ने लगाया है अगर वो किसी कारण बस पनप नहीं पाता है तो उन्हें उसकी जगह दूसरा पौधा लगाना होता है। इस अभियान के चलते इस गांव में करीब 700 पौधे लगाए जा चुके हैं।
समाज को बदलने के इस अभियान में ‘शिक्षा कुटीर’ बधाई का पात्र है। शिक्षा कुटीर के इस अभियान से इस जैसे स्कूल एक नयी उम्मीद लेकर आते है। उनकी इस पहल का अंबिकापुर निवासियों ने भी इस पहल का दिल से स्वागत किया है और अपने बच्चों को खुशी-खुशी इस स्कूल में भेज रहे है। अगर आपको भी इस तरह के किसी अभियान के बारे में पता चलता है तो हमें जरूर इस पते theindiawave@gmail.com पर लिखें।
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