टीचर की मौत से दुखी चेतन ने बनाया टीम 'Khoon', मिल रही वाहवाही

भारत की जनसंख्या करीब सवा अरब है। ऐसे में अगर देखें तो खून की कमी की वजह से बहुत सारे लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ती है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर साल 30 लाख ब्लड यूनिट की कमी होती है। जबकि 4 करोड़ यूनिट की जरूरत देश को हर साल है। ऐसे में मौत का आंकड़ा बढ़ना स्वाभाविक है।
रोजाना 38 हजार लोग करेंगे रक्तदान तो बनेगा संतुलन
इस समस्या के समधान के लिए देश में जागरुकता अभियान की जरूरत है। ताकि लोग अधिक से अधिक रक्तदान करें। अगर देश में रोज करीब 38 हजार लोग ब्लड डोनेट करेंगे तो संतुलन बन सकता है। लेकिन इसके लिए एक अभियान की जरूरत है। समाज में जागरुकता की जरूरत है। लेकिन आपको यकीन नहीं होगा बेंगलुरु का एक 18 साल का लड़का इस काम को कर रहा है। इस शख्स ने देश में ब्लड की भारी किल्लत को दूर करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है।
क्या है 'खून' की पूरी कहानी?
बी टेक के छात्र चेतन गौड़ा जो कि 'खून' के संस्थापक है। उन्होंने कहा कि ये कहानी तब शुरू हुई जब खून की कमी के कारण मैने अपने टीचर को खो दिया। फिर बाद में हमने ब्लड डोनेट के लिए एक दान शिविर शुरू किया। हमने कैंप लगा कर रक्तदान करने के लिए लोगों प्रेरित करना शुरू किया। हमने अपने कैंप का थीम म्यजूक पर रखा और डोनेट के दौरान अन्य नियम कायदे को इससे दूर रखा। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग हमसे जुड़े और हम बड़े स्तर पर खून जाम कर पाए।
संस्था एक साल पहले शुरू किया गया था और आज के समय में भारत के 11 शहरों तक इसकी पहुंच बन चुकी है। 28 अगस्त को इसकी एक और शाखा असम के गुवाहाटी में शुरू होने वाली है। खून संस्था का मुख्य उद्धेश्य भारत से रक्त की कमी को दूर करना। ताकि कोई भी इंसान खून की कमी से अपनी जान न गवां पाए।
कैसे चलता है 'खून'?
'खून' का लक्ष्य युवा ब्लड डोनर हैं। चेतन कहते हैं कि समाज को बदलने में युवा ही सक्ष्म हैं। युवा अगर चाहे तो वो कुछ भी कर सकते हैं। युवा समाज में बदलाव लाने के लिए अपने साथ सभी को जोड़ सकते हैं और एक बड़ा बदलाव कर सकते हैं। संस्था के पास खुद का भी अपना एक मजबूत बैंक है। बी टेक के छात्र होने की वजह से चेतन को खुद का भी शहर के विभिन्न कॉलेजों से संपर्क रहा है। पहले शुरू में सिर्फ चेतन के हमउम्र लोग ही संस्था के लिए काम करते थे लेकिन अब ये अभियान चल पड़ा है और अब कुल 264 ब्लड डोनर हो गए हैं।
चेतन बताते हैं कि, "हम युवाओं के लिए दान शिविर को आकर्षक बनाने की कोशिश करते हैं ताकि हम उन्हें आगे आने और रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर सकें। हमारा बंगलुरू में 50 लोगों की एक टीम है और अगर पूरे देश की बात करें तो 6 हजार हजार लोग हम से जुड़ चुके हैं। हमें ऐसे लोग चाहिए जो समाज में कुछ करना चाहते हैं। हम अपनी संस्था में स्क्रीनिंग और प्रशिक्षण आधार पर ही लोगों को रखते हैं। जो हमारे उद्धेश्य को समझ कर समाज के अन्य लोगों को इस अच्छे काम के लिए प्रेरित कर सके। हम अपने वोलेंटियर को हेल्पलाइन कैसे संभाला जाता है ये सिखाते हैं, साथ ही शिविर में जब अचानक कुछ ऐसा होता है जिसकी हमें कभी उम्मीद नहीं होता है तो इस स्थिति से निपटने के लिए हम अपने सभी साथियों को तैयार करते हैं।
चुनौतियां भी हैं बड़ी
इस काम को करने के लिए चुनौतियां भी बड़ी-बड़ी होती हैं। चेतन बताते हैं सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्गों को समझाने में आती है। साथ ही सही समय पर सही जगह शिविर का आयोजन करना भी होता है। लेकिन संस्था में ज्यादातर 18 साल से कम उम्र के लोग ही हैं तो इस चुनौती को भी बड़े आसानी से पार कर लेते हैं। हमने अब तक 600 से अधिक मामलों को देखा है और संभाला है। साथ ही कई गंभीर रोगियों की मदद कर उसे बेहतर सेवा दे कर समान्य स्थिति में लाने की कोशिश की हैं। यह संस्था 2500 रुपये से चलता है क्योंकि यहां पर काम करने वाले का लक्ष्य एक बेहतर समाज बनाना है। अंत में चेतन समाज को एक मैसेज देते हैं कि समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन युवाओं के द्वारा ही हो सकता है। इसलिए युवा वर्ग आगे आएं।
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