छोड़ दी इंजीनियरिंग की नौकरी, 17000 किमी घूमकर देश में ला रहे हैं ये बड़ा बदलाव
हम सभी को अक्सर व्यवस्था से शिकायत होती है। हम ये सपना देखते हैं कि एक दिन समाज हमारे रहने के लिए बेहतर बन जाएगी। लेकिन हम में से किते लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस बदलाव और सपने के लिए कोई प्रयास किया हो। लेकिन हम आज आपको मिलाने जा रहे हैं ऐसे शख्स से जिसने समाज को बदलने के लिए सिर्फ दूसरों को दोष देने के बजाय खुद सुधारने की कोशिश की। इन्होंने बच्चों को भीख मांगने से रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाया।
आशीष शर्मा एक ऐेसे युवा हैं जो अब तक दिल्ली से 17000 किमी की यात्रा कर चुके हैं सिर्फ बच्चों के भीख मांगने की कुरीति को दूर करने के लिए। दिल्ली के आशीष शर्मा पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे, एक दिन जब वो ऑफिस से घर लौट रहे थे तो एक बच्चा उनके पास भीख मांगते हुए आया। 9 साल के उस बच्चे के हाथ में काफी जख्म के निशान थे।
आशीष उस बच्चे की खराब हालत को देखकर रुके और ये जानने की कोशिश की कि उस बच्चे की ये हालत कैसे हुई है। तब उस बच्चे ने उनको बताया कि वो अनाथ है और खराब संगत के कारण वो नशा भी करता है। वो हैरान थे कि इतना छोटा बच्चा भी नशे के जाल में फंसा हुआ है। बच्चे की ये हालत देखकर आशीष ने उसी दिन फैसला कर लिया कि वो ऐसे छोटे बच्चों के लिए कुछ करेंगे जो सड़कों पर भीख मांगते हैं। इसके बाद उन्होने सबसे पहले सोनीपत में 1 बच्चे को आजाद कराया। उसके बाद दिल्ली में 10 बच्चों को आजाद कराया जो भीख मांगकर गुजरा करते थे। इन सभी बच्चों को अनाथालय में दाखिल कराया।
आशीष ने द लॉजिकल को बताया कि जब वो क्लास छह में थे एक बार वृद्धाश्रम गए वहां जाकर उन्हें काफी निराशा हुई लेकिन जल्द ही उनकी समझ में ये आ गया कि इन सबकी जड़ बच्चे हैं जब तक बच्चे खुद खुश नहीं होगें वो अपने बुर्जुगों को भी अच्छा जीवन नहीं देंगे।
स्कूल व कॉलेजों में जाकर करते हैं लोगों को जागरुक
आशीष को धीरे धीरे लगा कि वो अकेले ये काम नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐसे बच्चों की संख्या ज्यादा थी। इसलि उन्होंने अपने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और गो वन इम्पैक्ट कैंपेन शुरू की। लोगों को भीख मांगने के खिलाफ जागरूक करने के लिये आशीष ने तय किया कि वो पदयात्रा करेंगे। इस पदयात्रा को उन्होने नाम दिया ‘उन्मुक्त इंडिया’नाम दिया। उनकी ये पदयात्रा जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक लगभग 17हजार किलमीटर की होगी।
इस तरह 22 अगस्त 2017 से वो पदयात्रा पर निकल गये। जम्मू से शुरू हुई उनकी ये पदयात्रा पंजाब,हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों से गुजर चुकी है। अपनी इस यात्रा के दौरान आशीष अलग अलग स्कूल और कॉलेजों में जाते हैं। जहां पर वो बच्चों और युवाओं से देश को भीख मुक्त बनाने की अपील करते हैं।
आशीष हर दिन करीब 38 किलोमीटर की पदयात्रा करते हैं। इस दौरान वो अपने साथ एक बैग लेकर चलते हैं, जिसमें उनका जरूरी सामान होता है। उनके रास्ते में आने वाले स्कूल और कॉलेज के अलावा वो जहां भी लोगों की भीड़ देखते हैं वहां उनसे बात करने लगते हैं। इस यात्रा में आने वाले खर्च को वो खुद ही उठा रहे हैं। हालांकि कई जगह लोग उनको मुफ्त में रात गुजारने के लिये जगह दे देते हैं। इस पदयात्रा के साथ आशीष की योजना एक ऐसा मोबाइल ऐप बनाने की है जिसमें भीख मांगने वाले बच्चों की जानकारी अपलोड की जा सके, ताकि पुलिस और अनाथाश्रम ऐसे बच्चों तक सीधी मदद पहुंचा सके।
आशीष को भरोसा है कि वो आने वाले पांच वर्षों में कुछ कुरीतियों को समाज से दूर करने में ससफल होंगे। आशीष का मानना है कि अगर हम एक बेहतर राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो हमें बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने की सबसे ज्यादा जरूरत है। एक फेल व्यवस्था व कम अवसर को हमें उनके बचपन में शामिल नहीं करना चाहिए।
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