पुष्य नक्षत्र में आगमन हुआ है वर्ष 2021, जानें क्या है राज

सलिल पाण्डेय
पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला । पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रूप माना जाता है। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य है जो शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै। इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी कहा गया है। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृथ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजा दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद और तन एवं मन को प्रसन्नता देने वाला होता है।
पुष्य की प्रतीक्षा की जाती है
आध्यात्मिक जगत में इस नक्षत्र की प्रतीक्षा की जाती है। साधना का त्वरित फल प्राप्त होता है। इस नक्षत्र में किसी का भी अनिष्ट चिंतन स्वयं के लिए घातक बताया गया है। शुभ घड़ी में शुभ कार्य करने का मनीषियों ने उपदेश दिया है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार क्या नहीं करना चाहिए
विद्वानों ने पुष्य नक्षत्र में किसी के अनिष्ट चिंतन से बचने की सलाह दी है। तांत्रिक भी इस घड़ी अनिष्ट तांत्रिक कार्य न करें। रक्त-संबंधों से जुड़े लोग तो बिल्कुल आपस के लिए अनिष्ट कार्य न करें। यथा पति-पत्नी, पिता-पुत्र, सहोदर भाई और भी परिवार से जुड़े लोग इस नक्षत्र में एक दूसरे के लिए कुछ भी बुरा न सोचें, ऐसा आचार्य चाणक्य ने भी कहा है।
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