महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से सक्षम बना रही है ये रेड ब्रिगेड

शोहदों से निपटने को आत्मरक्षा के गुर भी सिखा रही
महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार कई जागरूकता अभियान चला रही हैं। छात्राओं व महिलाओं में छेड़छाड़ का विरोध करने के लिए आत्मविश्वास भी जगाने की कवायद जारी है। इसके इतर कुछ लोग खुद भी महिलाओं को अपराधों और अपराधियों के लिए प्रति जागरूक कर रहे हैं। ऐसी ही एक मुहिम लखनऊ की उषा विश्वकर्मा अपनी 'रेड ब्रिगेड' के माध्यम से चला रही हैं। उनकी ब्रिगेड का उद्देश्य आएदिन होने वाली छेड़छाड़ जैसी घटनाओं के दौरान शोहदों से निपटने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम बनाना है।
एक हादसे ने बदल दी जिंदगी
वर्ष 2006 में लखनऊ के पास एक बस्ती में पढ़ाने के दौरान उषा के ही एक साथी ने उनका रेप करने की कोशिश की थी। वह बताती हैं कि मैं हमेशा ही सतर्क रहती थी, इसलिए बच गई। आएदिन टीवी पर छेड़छाड़ और रेप की घटनाएं देखती और सुनती रहती थी, लेकिन खुद ऐसे हादसे का सामना करना मेरे लिए एक सदमे की तरह था। इस घटना ने मुझे अंदर तक झकझोड़ दिया। उसके बाद से ही कुछ करने का जज्बा जाग गया। इसके बाद मैंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली, चूंकि समाज सेवा से पहले ही जुड़ी थी इसलिए यौन शोषण की शिकार महिलाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान शुरू कर दिया।
पारिवारिक हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए काम करने वाली बुंदेलखंड में संपत पाल के गुलाबी गैंग से अलग उषा की रेड ब्रिगेड यौन उत्पीड़न और रेप पीड़िताओं की मदद के साथ लखनऊ की सड़कों पर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाती है। साथ ही लैंगिक असमानता व गुड टच बैड टच को लेकर भी कार्यशालाएं चलाती है। रेड ब्रिगेड नुक्कड़ नाटकों के लिए जरिये जहां लोगों को जागरूक करती है, वहीं स्कूलों में जाकर छात्राओं को ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए आत्मरक्षा के गुर भी सिखाती है। वर्ष 2011 से अब तक रेड ब्रिगेड लगभग 47 हजार लड़कियों व महिलाओं को ट्रेंड कर चुकी है। इतना ही नहीं रेड ब्रिगेड के सदस्य रेप पीड़िताओं और उनके परिवार की उस हादसे के सदमे से निकलने से लेकर एफआईआर व कानूनी प्रक्रिया में भी मदद करती है।
आत्मविश्वास जगाना सबसे जरूरी
उषा के मुताबिक, सबसे जरूरी आत्मविश्वास जगाना है, क्योंकि अगर आत्मविश्वास नहीं होगा तो अपने पास हथियार रखना भी बेकार है। वह कहती है कि हमारा उद्देश्य लड़कियों और महिलाओं के अंदर विश्वास पैदा करना कि उनमें किसी भी परिस्थिति से निपटने की क्षमता है। लैंगिक असमानता की घोर विरोधी उषा अपनी ट्रेनिंग में लड़कियों को आत्मरक्षा के 25 टेक्निक्स बताती हैं। उन्होंने इसे 'नि:शस्त्र कला' का नाम दिया है। इसमें इस्राइली कला 'क्रव मागा' समेत कई विद्याओं का समावेश है। फिलहाल उनकी रेड ब्रिगेड 100 दिन 100 स्कूल अभियान चला रही है।
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