कोरोना ने बदलीं मंदिरों की दशकों पुरानी परम्पराएं, सूने पड़े तीर्थस्थल

कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं, अगर लॉक डाउन खुल भी जाता है तो स्कूल-कॉलेज, माल और मंदिरों को 15 मई तक बंद रखने की सिफारिश कैबिनेट कर चुका है। इस तरह लॉक डाउन हटने के बाद भी मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुलेंगे। इस तरह से श्रद्धालुओं को अभी मंदिरों में दर्शन करने के लिए और इंतजार करना होगा। अब कोरोना काल समाप्त होने के बाद ही मंदिरों में दर्शन की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
कोरोना की वजह से जगन्नाथ मंदिर, महाकाल मंदिर, वैष्णो देवी, तिरुपति सहित सभी बड़े तीर्थस्थल बंद चल रहे हैं। इसका सीधा असर इनकी परम्पराओं पर भी पड़ा है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इन तीर्थस्थलों में दशकों से चले आ रहे रीति-रिवाजों को भी बदलना पड़ा है। हमेशा ही श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजने वाली तीर्थ स्थानों की गलियां भी इस समय सूनी हो गई हैं।
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श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भक्तों के लिए आरती का सीधा लाइव प्रसारण कर रहा है, तो वहीं उज्जैन के महाकाल में भक्तों के लिए ऑनलाइन पूजा की व्यवस्था की जा रही है। तिरुपति में हमेशा निर्धारित समय पर होने वाले उत्सव इस समय अकेले में ही हो रहे हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ की होने वाली विश्वविख्यात रथयात्रा टालने पर विचार चल रहा है। यही नहीं, भगवान श्रीराम के अयोध्या में प्रस्तावित मंदिर के लिए चंदा देने वालों की संख्या में भी कमी आई है। हाल ही में रामनवमी बीती है, इसके बाद भी चंदा महज 13 हजार रुपये ही आया है। मंदिरों के साथ इन तीर्थस्थलों के सहारे रोजगार करने वालों की आमदनी भी बंद हो गई है।
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भस्म आरती में श्रद्धालुओं के शामिल होने पर रोक
कोरोना वायरस की वजह से उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी पिछले महीने 16 मार्च से ही श्रद्धालुओं के लिए बंद चल रहा है। मंदिर प्रशासन ने पहले 31 मार्च तक मंदिर को बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन लॉक डाउन की वजह से यह अब भी बंद चल रहा है। यहां भस्म आरती में श्रद्धालुओं के आने पर भी रोक है। इतिहास में ऐसा पहली बार है जब महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं को भस्म आरती में शामिल होने से रोका गया है। मंदिर प्रशासन अब ऑनलाइन दक्षिणा देकर पूजन, जप की सुविधा देने पर विचार कर रहा है। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य ने प्रशासक को प्रस्ताव दिया है। श्रद्धालुओं को मंदिर समिति पुरोहितों के माध्यम से जप, पूजन करा कर डाक के माध्यम से प्रसाद भेज सकती है।
सिद्धिविनायक मंदिर किया गया बंद
मुंबई वासियों के बीच में आस्था का बड़ा केंद्र माने जाना मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर इस समय बंद है। मंदिर को 16 मार्च की शाम से बंद है और जल्दी कपाट खुलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। मुंबई में इस समय कोरोना वायरस के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं।
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वैष्णो देवी की आरती का सीधा प्रसारण
वैष्णो देवी मंदिर प्रशासन करोड़ों भक्तों के लिए आरती का सीधा प्रसारण कर रहा है। यहां 18 मार्च को ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। पूजा-अर्चना के लिए सिर्फ पुजारियों को ही जाने अनुमति दी गई है। मंदिर में नियमित रूप से पूजा पाठ किया जा रहा है। मंदिर के सीईओ रमेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि मां वैष्णो देवी के देश और दुनिया में करोड़ों श्रद्धालु हैं। श्रद्धालुओं की मांग को देखते हुए इस समय आरती का सीधे लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
द्वारका मंदिर में सिर्फ पुजारी की इंट्री
देश की चार पीठों में से एक द्वारका मंदिर भी इस समय कोरोना वायरस की वजह से बंद चल रहा है। मंदिर में सिर्फ पुजारी की ही इंट्री हो रही है। वही सुबह-शाम मंदिर में जाकर पूजा कर रहे हैं और भगवान को भोग लगाते हैं। अब यहां पर पूरे क्षेत्र में सिर्फ पुजारी ही देखने को मिल रहे हैं। श्रद्धालुओं की बिल्कुल ही आवक न होने की वजह से मंदिर के आसपास की दुकानें और मठ भी बंद चल रहे हैं।
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1892 में बंद हुआ था तिरुपति बालाजी
देश और दुनिया में आस्था का बड़ा प्रतीक माने जाने वाला तिरुपति बालाजी का मंदिर भी इन दिनों बंद चल रहा है। आंध्र प्रदेश में स्थित इस मंदिर में सिर्फ पुजारी ही दिख रहे हैं। इसके अलावा मंदिर में होने वाले अन्य उत्सवों के आयोजन को एकांत में किया गया। बता दें 1892 के बाद में ऐसा पहली बार हुआ है जब श्रद्धालुओं के मंदिर को बंद किया गया है।
बद्रीनाथ-केदारनाथ में खुलेंगे कपाट
उत्तराखंड के दो प्रसिद्ध मंदिर बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाटों को खोलने की तैयारी चल रही है। इन मंदिरों को जाने वाले पैदल मार्ग से बर्फ हटाने का काम चल रहा है। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए नहीं लग रहा है कि यह मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। इन दोनों मंदिरों को खोले जाने की तिथि पहले से ही तय की जा चुकी थी इसीलिए तैयारी चल रही है। रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट 29 अप्रैल और चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 30 अप्रैल को खुलेंगे। इसके अलावा गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट हमेशा ही अक्षय तृतीया के अवसर पर खुलते हैं।
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जगन्नाथ पुरी की यात्रा हालात पर करेगी निर्भर
कोरोना की वजह से इस समय भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी बंद चल रहा है। श्रीमंदिर में महाप्रभु के रीति-रिवाज को पूरा किया जा रहा है, लेकिन दर्शनों पर रोक लगाकर कपाट को बंद कर दिए गए हैं। वर्तमान हालात को देखते हुए यह नहीं लग रहा है कि इस बार विश्वविख्यात रथ यात्रा भी शुरू हो पाएगी। नौ दिनों तक चलने वाली यात्रा की तैयारियां 23 अप्रैल से शुरू होने वाली हैं। अब ओडिशा सरकार ने 30 अप्रैल तक प्रदेश में लॉक डाउन बढ़ा दिया है। ऐसे में अभी तैयारियां शुरू नहीं हो पाएंगी। बताया जा रहा है कि रथ बनाने के लिए लाई जाने वाली लकड़ी का पूजन हो चुका है, लेकिन रथ बनाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है। मंदिर प्रशासन का कहना है कि यात्रा की पूरी तैयारी है बाकी सब हालात पर निर्भर है।
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