रियल लाइफ हीरो : 15 बच्चों की जान बचाकर खुद कुर्बान हो गया अशफाक

उम्र महज 15 वर्ष की और हौसला एक नौजवान जैसा। इस तरह का हौसला इतनी सी उम्र में शायद ही कोई दिखा पाए। लेकिन अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने का ये जज़्बा अशफाक में था। हरियाणा के मेवात के रहने वाले 15 साल का अशफाक अपने 15 साथियों की जान बचाते हुए खुद कुर्बान हो गया।
आज अशफाक भले ही दुनिया में नहीं है, लेकिन उन 15 बच्चों के अलावा सैकड़ों लोगों के दिलो में आज भी जिंदा है। उसकी बहादुरी की तारीफ अब हर कोई कर रहा है। मौल्लवी बनने का सपना देखने वाला एक किशोर उसी मदरसे में कुर्बान हो गया। जहां से वह भविष्य के सुनहरे सपनों को लेकर मदरसे में पढ़ने के लिए आया था लेकिन यही पर पढ़ते-पढ़ते काल के गाल में समा गया। अशफाक मेवात जिले के बिहार गांव का रहने वाला था। उसके पिता किसानी करते हैं, चार भाईयों और बहनों में सबसे छोटा अशफाक अपने दो भाईयों के साथ नूंह मेवात जिले में गांव बसई झिमरावट में स्थित दारुल उलूम मदरसा में पढ़ता था।
अशफाक ने कुछ इस तरह दिखाई थी बहादुरी

दारूल उल मदरसे में शुक्रवार की शाम को नमाज पढ़ने के लिए वह अपने साथियों के गया था। इसी दौरान तेज आंधी आई और उसने देखा की मदरसे की मीनार हिल रही है। और उसने देख लिया। यह नजारा देखते ही उसने तुंरत चिल्लाना शुरू कर दिया और घंटी भी बजा दी। वह बच्चों को बाहर करने लगा और खुद नहीं भागा। वह और बच्चों को बाहर निकालने में मदद कर रहा था। इसी दौरान मीनार टूटकर छत पर गिर गई। अशफाक व उसका एक साथी उसी मलबे में दब गए। घटना के बाद मलबे से मदसरे के लोगों ने गांव वालो की मदद से बाहर निकाला और दोनों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर होने पर दिल्ली के रिफर कर दिया गया। दिल्ली में इलाज के दौरान अशफाक की मौत हो गई और उसके एक साथी का अभी इलाज चल रहा है।
लोगों के दिलों में जिंदा है अशफाक
अशफाक के पिता अब्बू दीन मुहम्मद का कहना है कि वह हमेशा ही शरारत करता रहता था जब भी मैं उसको डांटता तो वह यही कहता था कि एक दिन ऐसा करूंगा कि आप तब अन्यथा मत लेना। मुझे अपने लाल पर गर्व है कि उसने ऐसा काम कर दिया कि अब उसके लिए मेरे पास बोलने को शब्द नहीं है। वही स्कूल को मौलाना अब्दुल लतीफ ने कहा कि यह लकड़ा बहुत ही उबाऊ था और हमने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि वह इस तरह से हमारे मन में इस तरह से बस जाएगा। उन्होने कहा कि अगर अशफाक समय समय रहते ऐसा काम नहीं करता तो शायद ही किसी बच्चे की जान बच पाती। अशफाक घायल हुआ तो हमें लगा कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगा लेकिन कभी भी ऐसा सोचा था नहीं था कि वह हमें इतनी जल्द ही छोड़ जाएगा। 40 साल से चल रहे मदरसे के टूटने के बाद उसकी मदद को समाजसेवी आगे आए है। बोर्ड हरियाणा मदरसा बोर्ड ने मदरसे की मरम्मत के लिए 10 लाख रुपये देने का ऐलान किया और कहा कि दो लाख रुपये की मदद अशफाक के परिवार को भी मिलेगी। उधर अशफाक के अब्बू दीन मुहम्मद ने कहा कि वो अपने हिस्से के रुपये भी मदरसे को ही दे देंगे।
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