नागम्मा और लक्ष्मी ने 100-100 रुपए लेकर बनाई कंपनी, टर्नओवर है 2 करोड़

तेलंगाना के हसनाबाद में जब 63 साल की नागम्मा व 35 साल की लक्ष्मी ने महिलाओं से कहा कि हम सरकार से लोन लेकर कंपनी खोल रहे हैं, आप भी 100-100 रुपए देकर कंपनी मालिक बन सकती हैं, तो हमें चिटफंड वाला समझ कर भगा दिया जाता था।
आज दोनों महिलाओं की कंपनी का सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है। तीन साल पहले कंपनी बनाई अब इनकी कंपनी में 800 महिलाएं हैं। सभी कंपनी की मालकिन हैं।
अब जानते हैं इस कंपनी के बनने की पीछे की कहानी
नागम्मा व लक्ष्मी तेलंगाना के जिस इलाके हसनाबाद में रहती हैं वहां हर साल सूखा पड़ता है, मुश्किल से पैदावार होती है। पैदावार से जो इनकम होती है, उसका कुछ हिस्सा बिचौलिए ले जाते हैं। बचे पैसों से सालभर खर्च चलाना होता है। पैसे कम पड़ते हैं तो यहां के लोग मजदूरी कर लेते हैं, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अनाज बिक्री में बिचौलिए नहीं रहे। इसके पीछे हैं 63 साल की नागम्मा और 35 साल की लक्ष्मी।
पति से मार खाकर बनाई कंपनी
इन महिलाओं को अपने इस फैसले को जमीन पर लाने के लिए पैसे की दिक्कत के अलावा अपने पति से मार खाने तक के हालात झेलने पड़े। 2012 में एक संगठन ने गांव से आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कंपनी खोलने को कहा। नागम्मा ने कंपनी ने खोलने का मना बना लिया, लक्ष्मी ने जब अपने पति से कंपनी खोलने की बात की तो मना कर दिया। जिद करने पर पति की मार खानी पड़ी।
कंपनी की फाउंडिंग कमेटी में 15 महिलाएं हैं। इनमें तीन ही 10वीं पास हैं। इसके अलावा बाकी सभी महिलाएं अनपढ़ हैं। कंपनी की डायरेक्टर नागम्मा के पति नहीं हैं। पिछले 20 साल से वे खेती से घर संभाल रही हैं। दोनों एक साल में 15 किमी दायरे के हर गांव में गईं। 15 महिलाएं साथ आईं। रजिस्ट्रेशन होने तक 60 और जुड़ गईं।
ऐसे काम करती है कंपनी
कंपनी में प्रोडक्शन से लेकर बिक्री तक का काम शुरू हुआ। पहले साल दाल को खरीदने-बेचने का काम हुआ। कंपनी ने ना सिर्फ अपने मेंबर्स, बल्कि दूसरे किसानों से भी दाल खरीदी। बाजार में बेचा। बिचौलिए को कोई कमीशन नहीं देना पड़ा। कंपनी का टर्नओवर चार करोड़ रुपए रहा। दूसरे साल कंपनी से 800 महिलाएं जुड़ गईं। इनकी इनकम में औसत 8000 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। हसनाबाद के पास 10 गांव ऐसे हैं जहां ये महिलाएं दाल और धान की खेती करती हैं।
यहीं उनकी प्रॉसेसिंग करके बेचती हैं। हसनाबाद फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी में वह अपने सामान की प्रोड्यूसर खुद हैं, सामान प्रॉसेस करने की जिम्मेदारी भी उनकी है, पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग तक। कंपनी के नाम पर ही बीज, पेस्टीसाइड्स, खाद और दूसरी दवाओं की डीलरशिप ली। इससे उन्हें कम कीमत पर सामान मिलना शुरू हो गया है।
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