शिक्षक के ट्रांसफर से इतना दुखी हुए छात्र कि प्रशासन को वापस लेना पड़ा फैसला

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
सैकड़ों साल पहले कबीरदास ने गुरू की महानता में ये लाइनें लिखी थी। आज भी गुरु का उतना ही महत्व है। छात्र का भविष्य एक शिक्षक के ही हाथ में होता है। ये तस्वीर भी गुरु की महानता को दर्शा रही है। विद्यालय को 'स्वर्ग' (पढ़ाई का बेहतर माहौल) बनाने वाले शिक्षक जी. भगवान का जब ट्रांसफर हुआ, तो आंसूओं की धारा बह चली।

साधारण से दिखने वाले शिक्षक जी. भगवान अपना ट्रांसफर का आदेश लेकर जब स्कूल से बाहर निकले तो छात्रों ने उन्हें घेर लिया। सभी भगवान को पकड़कर रोने लगे। छात्रों व अभिभावकों को देखकर जी. भगवान भी रोने लगे। यह स्थिति देखकर विद्यालय परिसर में हर कोई भावुक हो गया। सभी बस यही कह रहे थे कह रहा है, मत जाओ सर। विद्यालय से छात्रों के फेवरेट शिक्षक न जाए इसके लिए किसी ने उनकी स्कूटर की चाबी ले ली, किसी एक छात्र ने बैग तक छीन लिया। कोई उन्हें पकड़कर क्लासरूम की तरफ ले जाने लगा। छात्रों के साथ जी. भगवान की इस तरह की फोटो सोशल मीडिया पर वॉयरल हो गई और आखिरकार प्रशासन को उनका ट्रांसफर 10 दिनों के लिए रोकना पड़ा।
छात्रों का बेहतर भविष्य बनाने की तरफ कदम बढ़ाने पर उनका दिल जीतने वाले शिक्षक जी. भगवान इस समय तिरुवल्लूर के वेलीगरम स्थित सरकारी हाईस्कूल में तैनात हैं। यहां पर उनकी पहली पोस्टिंग थी। जब 28 वर्षीय अंग्रेजी शिक्षक जी भगवान के स्थानांतरण की खबरों को छात्रों और उनके माता-पिता दोनों के व्यापक विरोधों से मुलाकात की गई।
प्रशासन ने उनका मंगलवार को ट्रांसफर के वेलीगरम से अरुंगुलम (तिरुट्टानी) के सरकारी हाईस्कूल के लिए कर दिया गया था। जी. भगवान को स्कूल से बुधवार को विदाई लेनी थी, लेकिन उसी समय बच्चों ने इस आदेश के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। छात्रों के भावुकता की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जिसके बाद प्रशासन ने उनका ट्रांसफर रोक दिया है। हालांकि विद्यालय में ट्रांसफर होकर आए शिक्षक ने ज्वाइन कर लिया है। लेकिन छात्रों के लगाव को देखते हुए पैरेन्ट्स एसोसिएशन ने इलाके के विधायक से जी. भगवान का ट्रांसफर रूकवाने की मांग की है। बता दें कि जी. भगवान को टीचर कांउसलिंग प्रक्रिया के तहत ट्रांसफर कर दूसरे लोकेशन में भेजा गया है।
चार साल में कुछ ऐसे बने छात्रों के 'भगवान'
नए जोश के साथ बच्चों का भविष्य बनाने के उद्देश्य से शिक्षक जी. भगवान ने विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। 2014 में स्कूल ज्वाइन करने के बाद अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय को उन्होंने बच्चों को समझाने के लिए आधुनिक तरीका अपनाया। जिसकी वजह से विद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र के चेहते बन गए। जी. भगवान विद्यालय में क्लास 6 से लेकर 10वीं तक के बच्चों को इंग्लिश पढ़ाते हैं। जी. भगवान शिक्षक तो अंग्रेजी के थे लेकिन इसके अलावा वह अन्य विषय भी पढ़ाते थे। स्कूल में बिताए गए चार वर्षों में वह छात्रों के बीच में एक मित्र, गाइड और भाई के रूप में नजर आए। उन्होंने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए सिर्फ शिक्षक की भूमिका ही नहीं निभाई बल्कि उनका बच्चों के बीच में एक खून सा रिश्ता हो गया। विद्यालय के एक छात्र ने टाइम्स आफ इंडिया को बताया कि "हम में से कई छात्र अंग्रेजी में अपने को असहज महसूस करते थे, लेकिन सर के प्रोत्साहन की वजह से हमें सुधार आया और हम सभी अंग्रेजी में सक्षम हो गए।' छात्र तमिलरसन ने कहा, "सर के अंदर सबसे अच्छी बात यह थी कि वह हर समय समस्या को दूर करने के लिए उपलब्ध रहते थे। जब भी हम लोगों को कोई दिक्कत होती थी तो वह हम लोगों बेहतर तरीके से बताते थे। यही नहीं वह शाम को विशेष कक्षाएं भी बुलाते थे।" जी. भगवान ने मीडिया से कहा "ये अनुभव मेरे लिए जिन्दगी भर की सीख है, मुझे जाना होगा लेकिन इस अनुभव ने मेरे प्रोफेशन में और भी उम्मीदें जगाई है।"
स्कूल के प्रधानाचार्य का भी मिला समर्थन
स्कूल को पढ़ाई के जरिए स्वर्ग बनाने वाले शिक्षक जी. भगवान के साथ में विद्यालय के प्रधानाचार्य व शिक्षक भी खड़े रहे हैं। छात्रों में शिक्षक के प्रति प्यार को देखते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य ने उच्चाधिकारियों को पूरी स्थिति से अवगत कराया। प्रधानाचार्य ए अरविंदन के मुताबिक बच्चों ने अपने अभिवावकों को भी टीचर के ट्रांसफर के बारे में बता दिया था जिससे सभी अभिवावक भी स्कूल पहुंच गए थे। उनके मुताबिक जी. भगवान और बच्चों के बीच मां-बाप जैसा ही रिश्ता बन गया है। जब उनके स्थानांतरण की खबर मिली तो सभी स्कूल आ गए और उनको रोकने के लिए रोने लगे। छात्रों की स्थिति पर स्कूल प्रशासन को अपने अधिकारियों से भगवान के ट्रांसफर ऑर्डर को 10 दिनों के लिए रोकने को कहना पड़ा। उन्होंने बताया कि जी. भगवान से छात्रों के बीच में लगाव का प्रमुख कारण आधुनिक तकनीकि के सहारे बच्चों को पढ़ाना है। उन्होंने बताया कि वह बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि को समझकर उनके भविष्य के बारे में बता था। यही नहीं प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को बेहतर बेहतर चीजें दिखाताथा। प्रोजेक्टर सत्र के लिए बच्चे हमेशा ही उत्साहित रहते थे। बच्चों को लगता था कि जैसे वे सिनेमा हॉल में बैठे हुए हो। नई चीजों को लाने की वजह से छात्रों के दिलों में वे हमेशा के लिए बस गए। इसलिए अब छात्र जी. भगवान को छोड़ना नहीं चाह रहे हैं।
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