साइकिल चलाकर खोज रहे अपना बेटा, पूरा किया 1500 किमी का सफर

हाथरस जिले के रहने वाले सतीश चंद्र (48 साल) का एक बेटा है जो लापता हो चुका है। उसकी तलाश में वे दिल्ली से कानपुर और हरिणाया के रेवाड़ी जिले तक साइकिल से चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, बीते पांच महीने से 1500 किमी भटक चुके सतीश को अब भी अपने बेटे का इंतजार है। कुछ भी पूछने पर उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
अपने बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि उनका 11 साल का दिव्यांग बेटा करीब छह महीने पहले लापता हो गया था। वह कहते हैं कि उन्हें यूपी पुलिस की ओर से कोई खास मदद नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अपने इकलौते बेटे की तलाश में साइकिल चलाते हुए सड़क पर चक्कर लगाना शुरू कर दिया।
इसी तलाश में आगरा के एत्मादपुर पहुंचने पर सतीश ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह अपने बेटे की तलाश में दिल्ली और हरियाणा के चक्कर लगा रहे हैं। वह कहते हैं, 'मैं हाथरस के द्वारिकापुर गांव के रहने वाले हैं। बीते 24 जून को उनका बेटा गोदना घर से स्कूल के लिए निकला था। स्कूल से घर की दूरी मात्र एक किमी थी। मगर उस दिन के बाद वह कभी मिला ही नहीं।' वह आगे कहते हैं, 'जब शाम ढल गई तो मैं स्कूल में बच्चे की जानकारी लेने पहुंचा। उसके साथ पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि गोदना अंतिम बार सासनी रेलवे स्टेशन के पास देखा गया था। मैं तुरंत वहां पहुंचा। मगर वह मुझे कहीं नहीं मिला।'

वह कहते हैं, 'मैंने चार दिन तक इंतजार करने के बाद पुलिस के पास जाकर 28 जून को मदद मांगी लेकिन पुलिस ने उनकी एफआईआर लिखने से मना कर दिया। यहां तक की उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की। मेरे काफी गुजारिश करने पर उन्होंने मेरे प्रार्थनापत्र पर साइन और मुहर लगाने के बाद बैरंग घर लौटा दिया।' सतीश के मुताबिक, पुलिस का लचर व्यवहार देखकर उन्होंने तय कि अब वह बिना समय गंवाए साइकिल से सड़क पर घूम-घूमकर अपने बेटे की तलाश करेंगे। साइकिल से ही तलाश करने का फैसला क्यों किया, इसके जवाब में वे कहते हैं कि मेरे पास ज्यादा रुपये नहीं हैं। ऐसे में साइकिल से मैं कितनी भी दूरी तय कर सकता हूं। यही सोचकर मैंने यह फैसला किया।
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