हीरा नगरी की अब बदल रही 'सूरत', इस तरह किया जा रहा कचरा निस्तारण

हीरा व साड़ियों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध सूरत की तस्वीर अब बदली जा रही है। गंदगी के ढेरों को पूरे सूरत से हटाया जा रहा है। कचरा निस्तारण की एक बेहतरीन तकनीक के तहत कचरा का भंडारण किया जा रहा है। जिससे की अपने काम की वजह से पूरे देश में प्रसिद्ध इस नगर की 'सूरत' बदल सके।

शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर काम किया जा रहा है। कचरा निस्तारण के लिए पूरे शहर में 43 जगहों पर भूमिगत कचरा डिब्बों (अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम) को आधुनिक तकनीकि से बनाया गया है। जिनमें लगभग 1.5 टन कचड़े को रखा जा सकता है। कचरा डिब्बों की सबसे खास बात यह है कि अगर भूमि में कचरा 70 प्रतिशत हो जाता है तो तत्काल में सेंसर बच जाता है। यह सेंसर नियत्रंण कक्ष में चेतावनी भेज देता है। इससे आसानी से कचरे को आसानी से निस्तारित कर दिया जाता है। यही नहीं इस कचरे के माध्यम से कंपोस्टिंग खाद को भी उत्पन्न करने की तकनीकि को विकसित किया गया है। पूरे शहर के कचड़ा निस्तारण केंद्रों पर दो प्रकार के डिब्बे रखे गए है। जिसमें एक आम जनमानस के लिए खोला गया है, इसके अलावा एक अन्य डिब्बे का प्रयोग नगर निगम द्वारा कचड़ा डाला जाता है। आंकड़ों के अनुसार, सूरत रोजाना 2100 टन कचरा पैदा होता है। इसमें 800 टन कचरा प्रोसेस होता है। अधिकारियों के मुताबिक वह इस सिस्टम से 2000 टन कचरा प्रोसेस कर सकेंगे।
सूरत नगरनिगम के कमिश्नर एम थेन्नारासन के अनुसार पूरे शहर में नगर निगम की ओर से 75 ऐसे डिब्बे रखे लगाये जाएंगे है। शहर के चुनिंदा जगहों से हमने इसकी शुरूआत की थी, लेकिन अब लगातार मांग बढ़ती जा रही है। हमारे इस प्रोजेक्ट में लोगों का बहुत अच्छा साथ मिल रहा है। जिसका नतीजा है कि शहर को स्वच्छ बनाए रखने में हम मदद मिल रही है। हमारी कोशिश है कि हम इसे पूरे क्षेत्र में विस्तारित करें। उन्होंने बताया कि इस नई तकनीकि को और बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए पूरे शहर में 425 वाहनों को लगाया गया है। आने वाले समय में पूरे शहर से 900 वाहन कचरा उठाएंगे। तकनीकि के बारे में उन्होंने बताया कि कचरा समय से उठ जाएं इसके लिए सभी वाहनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान (आरएफआईडी) से लैस किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि यहां की सूरत को बदला जा सके।
इस क्षेत्र में भी हो रहा काम
कचरा निस्तारण के अलावा अन्य क्षेत्र में भी सूरत नगर निगम काम कर रहा है। यहां पर लोगों को शुद्ध पानी पिलाने व पानी की बचत करने के लिए प्रतिदिन 45 मिलियन लीटर सीवेज पानी में से 40 मिलियन लीटर पानी पीने योग्य बनाया जा रहा है। यह पानी औद्योगिक सेक्टर के अलावा अन्य क्षेत्र में आपूर्ति की जाती है। इसमें प्रिंटिंग मिल्स में किया जाता है। इस तकनीकि को सिंगापुर से अपनाया गया है। सूरत में इसकी शुरुआत 2007 में तल्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने की थी। उन्होंने सिंगापुर में ऐसा प्लांट देखा था, इसी आइडिया पर उन्होंने सूरत में काम शुरू कराया था।
तकनीकि से क्या होगा फायदा
शहर में भूमिगत कचरा केंद्रों (अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम) की स्थापना होने के कारण अब शहर की आबो हवा पूरी तरह से बदल गई है। पर्यावरण को संरक्षित करने में इससे अधिक मदद मिल रही है। इस सिस्टम का सबसे अच्छा पहलू ये भी है कि इस सिस्टम से कचरे से फैलने वाली दुर्गंध से भी निजात मिलती है। अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम से एक यह और फायदा है कि इससे आसानी से उपजाऊ मिट्टी बन जाती है। अंडरग्राउंड गारबेज सिस्टम न केवल शहर को साफ रखेगा और अधिक भूमि क्षेत्र की रक्षा करेगा बल्कि यह मिट्टी को उपजाऊ बनाकर हमारे पर्यावरण को संरक्षित रखने में भी मदद करेगा।
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