यूपी के इस सीबीएससी बोर्ड स्कूल में होगा सिर्फ दलित बच्चों का एडमिशन
तमाम तरह के आंदोलनों को चलाने और आरक्षण देने के बाद भी कुछ इलाकों में दलितों को स्थिति में बहुत बड़ा बदलाव नहीं हुआ। कई बार अभी उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यूपी के आगरा ज़िले में दलितों के लिए एक स्कूल खोला गया है। ये स्कूल सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड है। स्कूल के फाउंडर भरत सिंह की मानें तो संस्थागत भेदभाव को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है।
आगरा में स्कूल की शुरुआत करते हुए भरत सिंह ने कहा कि दलितों के साथ अभी भी भेदभाव होता है। उन्हें वो सम्मान नहीं मिल पाता जो एक आम नागरिक को मिलना चाहिए। इसीलिए उनके लिए अलग स्कूल खोला ताकि बच्चों को बचपन में ही इस भेदभाव का शिकार न होना पड़े।
दान भी मिला
जिले के जगदीशपुर में रहने वाले एक स्थानीय नागरिक चौधरी नंदकिशोर ने बताया कि दलित समुदाय के लोगों ने अभी तक इस स्कूल के निर्माण में सहयोग के लिए 45 लाख रुपये दान में दिए। इन दान के रुपयों से 20,000 स्क्वॉयर फीट जमीन पर दो मंजिला स्कूल बनाया गया है। आगे जब और पैसे इकट्ठे हो जाएंगे तो सुविधाएं बढ़ेंगी।
उन्होंने कहा कि स्कूल बनाने का उद्देश्य यह है कि गरीब दलित बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। उनका एक अच्छे और अंग्रेजी माध्यम से स्कूल में पढ़ने का सपना पूरा हो सके। स्कूल पूरी तरह से जगदीशपुर और आस-पास रहने वाले 10,000 दलित परिवारों को समर्पित है। अभी स्कूल में 1,000 छात्रों के पढ़ने की क्षमता है। बच्चों की पढ़ाई के लिए बहुत ही नाममात्र की फीस ली जाएगी।
दलित बच्चों की बदलेगी जिंदगी
समाजिक कार्यकर्ता मनोज सेन ने बताया कि दलित बच्चों के लिएअंग्रेजी माध्यम का स्कूल बनाया जाना बहुत ही अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि इस स्कूल के खुलने से दलित समुदाय के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी, क्योंकि दलितों के पास बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए धन नहीं होता है।
एनबीटी की ख़बर के मुताबिक, अलीगढ़ जिले के बाल्मीकि सेना के अध्यक्ष राहुल चेतन ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में दलित बच्चों का शोषण होता है। उन्होंने खुद ऐसे स्कूलों के खिलाफ कई बार शिकायत दर्ज कराई है। यह स्कूल दलित बच्चों के अंदर आत्मविश्वास पैदा करेगा। अखिल भारतीय खटिक समाज के महासचिव वीरू सोनकर ने कहा कि दलितों बच्चों के साथ भेदभाव की बात को नकारा नहीं जा सकता। ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो और भी खराब है।
सर्वे में हुआ खुलासा
नैशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस की तरफ से उत्तर प्रदेश , तमिलनाडु, राजस्थान और ओडिशा सहित आठ प्रदेशों में कराए गए एक सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई। सर्वे में पता चला कि दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक लोगों के साथ भेदभाव और शारीरिक शोषण जैसी घटनाएं आम बात हैं। संगठन का दावा है कि राज्यों में पांच बार सर्वेक्षण करने पर उन्हें पता चला कि स्कूलों में दलित छात्रों से टॉइलट और क्लासरूम धुलवाया जाता है। यहां तक कि उच्च जाति के छात्र एससी-एसटी छात्रों के साथ दोस्ती तक नहीं करते। उनसे मिड डे मील बंटवाया जाता है।
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