बेसहारा परिवार का सहारा बनी खाकी, थानेदार ने चुकाया पूरा कर्ज
यूपी पुलिस का नाम आते ही सबके मन में एक अलग तस्वीर बनने लगती है। पुलिस की वर्दी पर नकरात्मक दाग को मिटाने की कोशिश कुछ लोगों की तरफ से लगातार की जाती है। ऐसे ही खाकी का नाम ऊंचा करने का काम सीतापुर जिले की पुलिस ने किया है। यहां के थानेदार ने बच्चों की पढ़ाई लिखाई का जिम्मा उठाया। यही थानेदार ने गिरवी रखी 3 बीघा जमीन का कर्ज अदाकर मृतक की पत्नी को जमीन वापस कराई है। थानेदार के इस मानवीय काम की हर तरफ तारीफ हो रही है।
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सीतापुर के पिसावां थाना क्षेत्र के इदलापुर निवासी मनीष कुमार (35) की हत्या पिछले महीने कर दी गई थी। मनीष की हत्या उसके साथी ने ही घर पर बुलाकर की थी। हत्या करने के बाद मनीष का शव खेत में फेंक दिया गया था। मनीष की हत्या होने के बाद उसकी पत्नी रिंकी व तीन बच्चे बेसहारा हो गए थे। मनीष के नाम तीन बीघा जमीन थी, जिससे भी उसने इस वर्ष गिरवी रख दिया था। बेसहारा परिवार के पास अब खाने पीने से लेकर कोई भी सामन नहीं बचा था। परिवार की इस समस्या की जानकारी जब थानाध्यक्ष दिनेश सिंह को हुई तो वह बेसहारा परिवार से गांव जाकर मिले।
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उन्होंने गांव में गिरवी रखा तीन बीघा खेत को खाली कराकर परिवार को कब्जा दिलाया। इसके लिए उन्होंने कर्ज को चुकता किया। यही नहीं उन्होंने बेसहारा परिवार को थाने पर बुलाया गया। मृतक की पत्नी रिंकी, गौरव (9), मुस्कान (8), शवनिया (3) को कपड़े भी दिलाए। इसके अलावा खाने के लिए गेहूं, चावल, आंटा की एक-एक बोरी, बच्चों की किताबें व स्कूल बैग की व्यवस्था कराई। थानाध्यक्ष दिनेश सिंह ने बच्चों से नियमित विद्यालय जाने के लिए प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को किसी तरह से समस्या हो तो हमें तत्काल अवगत कराएं, पुलिस हरसंभव मदद करेगी। उनके इस काम की हर तरफ सराहना हो रही है।
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पहले भी दिनेश सिंह कर चुके हैं मदद
सीतापुर जिले के पिसावां थानेदार दिनेश सिंह इससे पहले भी लोगों की मदद कर चुके हैं। यहां पर बीते वर्ष मार्च 2018 में देवगवां निवासी राम सागर ने अपनी बीवी का कत्ल कर दिया था, जिसके बाद वह सलाखों के पीछे चला गया ऐसे में उसके पीछे 5 बच्चे अनाथ ही चुके थे जिनका भरण पोषण करने वाला कोई नही था। ऐसे में बच्चे भुखमरी के कगार पर आ गए थे, बच्चों की यह स्थिति देखकर दिनेश कुमार सिंह ने सभी बच्चों को गोद ले लिया। उनकी शिक्ष दीक्षा से लेकर कई सारे काम उन्होंने स्वयं ही उठा लिए। गोद लिए हुए बच्चे अब पढ़ाई कर रहे हैं। उनके इस काम की तारीफ प्रदेश स्तर पर की गई थी।
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