बिहार के इस स्कूल टीचर की फेसबुक पोस्ट पढ़कर आप भी करेंगे इन्हें सलाम
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था, '' शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो व्यक्ति के चरित्र, कैलिबर और भविष्य को आकार देता है। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखेंगे तो ये मेरे लिए सबसे ज्यादा सम्मान की बात होगी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो अवॉर्ड्स के बजाय अपने स्टूडेंट्स की सफलता और प्यार को ही सबसे बड़ा अचीवमेंट मानते थे। बिहार के एक शिक्षक ने भी डॉ. कलाम के नक्शे कदमों पर चलते हुए अपने एक स्टूडेंट की जिंदगी को संवारने में पूरी जिंदगी लगा दी।
बिहार के एक प्राइमरी स्कूल के टीचर ने जब अपने स्कूल के एक स्टूडेंट में पढ़ाई के प्रति रुचि को देखा तो उन्होंने तय कर लिया कि वह इसमें उसकी पूरी मदद करेंगे। इस शिक्षक ने जो किया उसे सिर्फ उसके क्लासरूम या स्कूल के लोग ही नहीं बल्कि हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
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बिहार के इस शिक्षक के क्लास का एक बच्चा बहुत गरीब घर से था और उसके पास उसकी किताबें खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने न सिर्फ उस बच्चे के लिए किताबें और स्टेशनरी का बाकी सामान खरीदा, बल्कि उसकी फीस भी भरना शुरू कर दिया। उनकी ये सारी मदद उस दिन सार्थक साबित हुई जब वह लड़का पढ़ लिख कर डॉक्टर बन गया।
फेसबुक पेज ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे पर एक शेयर की गई एक पोस्ट में इस शिक्षक ने पूरी कहानी लिखी है। उन्होंने लिखा है -
मैं बिहार के अपने गांव में प्राइमरी स्कूल का टीचर था। मेरी क्लास में एक बच्चा बहुत गरीब परिवार से था। वह बहुत होशियार था और उसमें सीखने की लगन थी, लेकिन उसके परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वो पढ़ाई से जुड़ी चीजें खरीद पाएं। उसके पास लिखने के लिए कॉपी नहीं थी और पहनने के लिए यूनिफॉर्म तक नहीं थी। मुझे उसे देखकर बहुत बुरा लगता था, इसलिए मैंने तय किया कि मैं उसे किताबें, पेन, यूनिफॉर्म सब कुछ अपनी सैलरी से लेकर दूंगा। कुछ साल बाद उसके की आर्थिक हालत और खराब हो गई और वे उसकी फीस भी नहीं दे पा रहे थे। उस वक्त मैंने उसकी स्कूल फीस भरना भी शुरू कर दिया। ऐसा नहीं था कि मेरे पास बहुत पैसा था। मैं सिर्फ इतना कमाता था कि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकूं, लेकिन उसकी मदद करने से पहले मैंने एक बार भी नहीं सोचा। मुझे भविष्य के लिए कुछ बचाने की चिंता नहीं थी, मैं सिर्फ उसका वर्तमान अच्छा करना चाहता था।
स्कूल खत्म होने के बाद भी हमारी बात होती रही। कॉलेज फीस के लिए उसने लोन ले लिया। उसने तय कर लिया था कि उसे डॉक्टर बनना है। वह जब भी मुझे कॉल करता था, मैं हमेशा उससे कहता था कि उसे जब भी जरूरत हो वह मुझे बता सकता है, लेकिन उसने सबकुछ मैनेज करने का तरीका ढूंढ लिया था। वह पढ़ाई के साथ काम करता था और अपनी पढ़ाई से जुड़े सारे खर्चे खुद ही निकाल लेता था। आज वह एक डॉक्टर है। उसकी सारी मेहनत सफल हो गई और मुझे उसे अपना स्टूडेंट कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है। वह अब भी मेरा हालचाल लेने के लिए मुझे हर हफ्ते कॉल करता है और हमारे गांव मुझसे मिलने आता है, जबकि उसके पास शहर में बहुत काम है। मैंने उसे एक स्कूल के बच्चे से एक सफल डॉक्टर बनते हुए देखा है और मुझे इस बात पर बहुत गर्व होता है कि मैं उसके इस सफर का हिस्सा हूं। मुझे लगता है कि अब मैंने पूरी जिंदगी जी ली।
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