SC का सभी राज्यों को निर्देश, कोविड प्रभावित अनाथ बच्चों की पहचान कर पुनर्वास की करें व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों को यह निर्देश है कि कोविड-19 से प्रभावित सड़कों पर जीवन गुजार रहे बेसहारा बच्चों की पहचान करें। और उनके पुनर्वास के कार्यों के लिए अविलंब विशेष किशोर पुलिस इकाइयों (एसजेपीयू), जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) और स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लें। आपको बता दें कि SC उन बच्चों के मामले की सुनवाई कर रही थी, जो अपने माता-पिता में से एक या दोनों को खोने की वजह से महामारी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि ‘’सड़कों पर रहने वाले बेसहारा बच्चों की समस्या सर्दियों में और बढ़ गई होगी। ऐसी स्थिति में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को उन्हें आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।’’
पीठ ने कहा ‘’अदालत पहले ही बच्चों की पहचान और पुनर्वास के बारे में दिए गए निर्देशों के अमल पर अब और देरी बर्दाश्त नहीं कर सकती है। अदालत सभी जिलाधिकारियों को बिना कोई और देरी के सड़कों पर रहने वाले बेसहारा बच्चों की पहचान में डीएलएसए और स्वैच्छिक संगठनों को शामिल करने के निर्देश देती है। जिलाधिकारियों को यह निर्देश भी दिया जाता है कि वे सभी चरणों की सूचना राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (बाल स्वराज) के वेब पोर्टल पर अपलोड करें।’’
पीठ ने ये भी कहा ‘’हम वास्तविकता से दूर नहीं भाग सकते हैं। हम जानते हैं कि देश में कोविड की तीसरी लहर से गुज़र रहा है। अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में व्यस्त हो सकते हैं लेकिन बच्चों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस मामले में कोविड एक बहाना नहीं हो सकता है।‘’
कितने बच्चों की हुई पहचान
दिल्ली में अब तक 428 बच्चों की पहचान की है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेखित किया कि पहले 70,000 बच्चों की पहचान की गई थी।
वहीं उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य के पांच जिलों में गैर सरकारी संगठनों ने लगभग 30,282 बच्चों की पहचान की है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘बाल स्वराज पोर्टल- कोविड केयर’ पर 11 जनवरी तक अपलोड किए गए डेटा के मुताबिक, देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की कुल संख्या 1,47,492 हैं। जिसमें से अनाथ बच्चों की संख्या 10,094 और माता या पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 1,36,910 और परित्यक्त बच्चों की संख्या 488 हैं।
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