दहेज मांगने वालों को सिखाया सबक, फेरों के बाद दुल्हन ने लौटा दी बारात
'दहेज अभिशाप है' इस बात को हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं, इन पर बड़े-बड़े सेमिनार और भाषण भी सुनने को मिले जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी ये प्रथा कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। ग्वालियर की शिवांगी की हिम्मत देखकर हम सबको सबक लेनी चाहिए कि कैसे इस कुप्रथा को खत्म किया जा सकता है।
दतिया के रहने वाले द्वारिका प्रसाद अग्रवाल सराफा व्यवसायी हैं। उनकी चार बेटियां हैं, शिवांगी खुद इंजीनियर होने के साथ-साथ एमबीए की पढ़ाई भी पूरी कर चुकी हैं। वो एक प्राइवेट कंपनी में जॉब भी कर रही है। 6 माह पहले व्यापारी श्री अग्रवाल ने बेटी का रिश्ता ग्वालियर के फालका बाजार निवासी व्यवसायी सुरेशचन्द्र अग्रवाल के बेटे प्रतीक अग्रवाल से तय किया था। प्रतीक खुद फालका बाजार में सेनेट्री शॉप चलाते हैं।
बेटी के फैसले पर घर वालों को गर्व
एमबीए पास शिवांगी के फेरे होने के बाद जब लड़के वालों ने दहेज की नई मांग की तो सबका चेहरा उतर गया। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी जल्दी कैसे उनकी मांग पूरी की जाए लेकिन दुल्हन के जोड़े में खड़ी शिवांगी ने बारात लौटाने का फैसला किया। उसकी ये हिम्मत देखकर पिता ने भी साथ दिया। 15 फरवरी को शिवांगी की शादी ग्वालियर के जीवाजी क्लब से होने वाली थी। रस्में चल रही थीं और तभी दूल्हे के पिता सुरेशचन्द्र ने मंडप के नीचे फेरे के तुंरत बाद ही सारे गिफ्ट खोले और उन्हें कम बताकर 2 लाख रुपए कैश की मांग की। घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था अब इसका क्या जवाब दिया जाए उन्होंने बात कर इस मुश्किल को सुलझाने के लिए भी कहा लेकिन वर पक्ष अपनी मांग पर कायम रहा। इतने में शिवांगी मंडप से उठी और शादी न करने से मना कर दिया, बारात को तुरंत खाली हाथ वहां से वापस जाने को कहा। घर वालों को भी शिवांगी के फैसले से हिम्मत मिली और उन्होंने तुरंत 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुला लिया। पुलिस के आते ही दूल्हा व उसके परिजन शिवांगी के पिता के पैर में गिरकर विदा करने की मांग करते रहे, लेकिन वह नहीं माने।
दूल्हे के पिता सुरेशचंद्र अग्रवाल ने सफाई में कहा कि मैंने कोई दहेज नहीं मांगा। मैं तो देखना चाहता था कि पेटी में कितनी साड़ी हैं। शिवांगी के पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि मेरी बेटी पढ़ी-लिखी है और समझदार है। उसने सही फैसला किया है। मैं बेटी के साथ हूं। मैं भी ऐसे लोगों के घर बेटी को विदा नहीं कर सकता हूं।
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शिवांगी ने लड़कियों को दिया ये संदेश
शिवांगी बताती है, मेरे पिता से पहले पांच लाख रुपए की मांग की गई थी जब वो मांग पूरी हो गई तो 10 तोला सोना मांगा गया। जब मांग पूरी करते गए तो प्रतीक के घरवालों की मांग और बढ़ती गई। ऐसे लड़के और घर में कैसे खुश रह सकती हूं। मेरी लड़कियों से अपील है कि वह ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाएं। दहेज देने वालों की मांग पूरी करके उनकी हिम्मत को न बढ़ाएं।
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