पढ़िए देश के सबसे युवा आईपीएस सफीन हसन के संघर्ष की कहानी

गुजरात के कणोदरा गाँव के रहने वाले 22 साल के सफीन हसन देश के सबसे युवा आईपीएस अधिकारी बन गए हैं। हसन 23 दिसंबर को बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक पद संभालेंगे। हसन की मेहनत उन्हें यहां तक लेकर आई है लेकिन मंजिल इतनी आसान नहीं थी। उनका बचपन काफी संघर्षों के साथ बीता लेकिन अब उन्हें उनके ही होम डिस्ट्रिक में पोस्टिंग मिल गई।   

हसन के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी और 10वीं तक पढ़ाई की फीस के लिए उनकी मां ने दूसरों के घरों में काम किया था। सफीन की मां ने बेटे की पढ़ाई के लिए रेस्त्रां और शादियों में रोटियां बनाने का काम भी किया। लेकिन सफीन की किस्मत अच्छी थी उनकी लगन और मेहनत देखकर उन्हें बिजनेसमैन और सोसाइटी से काफी सपोर्ट मिला जिसकी मदद से वो यहां तक पहुंच पाए। 

सफीन ने यूपीएससी परीक्षा में 570 रैंक हासिल की थी। उन्होंने जून 2016 से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने आईपीएस बनने के लिए तो क्वालीफाई कर लिया लेकिन वह आईएएस बनना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मैं परीक्षा में दोबारा बैठा पर, परीक्षा को क्लियर नहीं कर सका। ऐसे में मैने तय किया कि मैं आईपीएस ऑफिसर के रूप में अपना करियर जारी रखूंगा और इस अवसर का इस्तेमाल कर देश की सेवा करूंगा। सफीन का कहना है कि खुद पर आत्मविश्वास रखने, भूल सुधार कर सीखने और स्मार्ट वर्क से यूपीएससी ही नहीं, बल्कि इससे भी मुश्किल परीक्षाओं में सफलता हासिल की जा सकती है।

पेन किलर खाकर देनी पड़ी थी परीक्षा

यूपीएससी मैन्स के चौथे पेपर से पहले ही हसन का एक्सीडेंट हो गया था।  ये पेपर सुबह 9 बजे था और 8:30 बजे हसन के घुटने, कोहनी और सिर पर चोट थी क्योंकि वो बाइक से स्लिप कर गए थे। लेकिन हसन इस बात से खुश थे कि उनका दाहिना हाथ सही है जिससे उन्हें लिखना है।  हसन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि यूपीएससी का पेपर लंबा होने के कारण मैंने पेन किलर खाई और खुद ड्राइव करके एग्जाम सेंटर पहुंच गया। पेपर के बाद मैंने एमआईआर कराई, तो घुटने का लिंगामेंट टूट चुका था। पैर का ऑपरेशन करने की जरूरत थी, जो मैंने इंटरव्यू पूरा होने के बाद कराया। 

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