ये अरबपति भारतीय अपनी आधी दौलत दान देकर कर रहे समाज का विकास

इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि और उनकी पत्नी रोहिणी ने बिल गेट्स और वॉरेन बफेट की पहल से शुरू हुए 'गिविंग प्लेज' पर दस्तखत किए हैं। इस पर साइन करने वालों को अपनी जिंदगी के दौरान या वसीयत के जरिए कम से कम आधी संपत्ति परोपकार के काम के लिए दान करनी होती है। उनसे पहले भी कई भारतीय यह कदम उठा चुके हैं। भारत में नीलेकणि दंपती से पहले विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ और शोभा डिवेलपर्स के प्रमोटर पीएनसी मेनन इस पर साइन कर चुके हैं।
नंदन निलेकणि
भारत में नीलेकणि दंपती से पहले विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ और शोभा डिवेलपर्स के प्रमोटर पीएनसी मेनन इस पर साइन कर चुके हैं। हाल ही में बंगलुरू स्थित इंफोसिस के चेयरमैन नंदन निलेकणि ने अपनी सम्पत्ति का आधा हिस्सा यानी करीब 110.5 अरब रुपये की संपत्ति में से आधा देने का फैसला किया है। बता दें कि नीलेकणि ने एनआर नारायणमूर्ति और दूसरों के साथ मिलकर इंफोसिस की स्थापना की थी।
अजीम प्रेमजी
विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी को भारत का बिल गेट्स कहा जाता है। उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के तहत वर्ष 2001 में करीब 125 अरब डॉलर की सम्पत्ति दान देकर शिक्षा में सुधार करने का प्रयास किया था। इसके अलावा वह कई सामाजिक कार्यों में सहयोग करने के लिए अपने फाउंडेशन के जरिए मदद करते रहते हैं। वह भी 'गिविंग प्लेज' पर हस्ताक्षर कर समाज के उत्थान के लिए अपनी प्रॉपर्टी का आधा दान देने वालों में शुमार हैं। वह दुनिया के सबसे बड़े पांच दानदाताओं में गिने जाते हैं। वर्ष 2013 में उन्होंने गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए थे।
किरण मजूमदार शॉ
बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने वर्ष 2016 में गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसा करने वाली वह दूसरी भारतीय हैं। टाइम मैगजीन में कई बार दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में दर्ज हो चुकीं किरण भारत में व्याप्त दिक्कतों को दूर करने के लिए बड़ी मात्रा में दान कर चुकी हैं। वह कैंसर की रोकथाम के लिए उसके रिसर्च को सहयोग करने में कई बार फंड जारी कर चुकी हैं। उन्होंने डॉ देवी शेट्टी के साथ साझेदारी कर बंगलुरू में 1400 बेड का मजूमदार-शॉ कैंसर सेंटर (MSCC) की स्थापना की थी। वहां कैंसर पीड़ितों में काफी सस्ते दरों में इलाज मुहैया कराई जाती है। वहीं, मजूमदार शॉ सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च (MSCTR) और बोस्टन के एमआईटी स्थित कोच इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव कैंसर रिसर्च सेंटर के जरिए कैंसर पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को आर्थिक मदद करती रहती हैं। साथ ही, वह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बने प्राथमिक उपचार केंद्रों का विकास करने का भी बीड़ा उठा रही हैं।
पीएनसी मेनन
वर्ष 1979 में 27 साल के एक शख्स ने केरल को छोड़कर ओमान जाने का निर्णय किया था। उस समय उस इंसान के पास चंद ही रुपये थे। वह कॉलेज छोड़ चुका था। आ की तारीख में वह भारत के रईसों में शुमार है। यह और कोई नहीं बंगलुरू स्थित शोभा डेवलपर्स के संस्थापक हैं। उनका नाम पीएनसी मेनन है। मेनन भी सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए लोकहित में दान देते रहते हैं। रियल इस्टेट की दुनिया में बड़ा नाम बन चुके मेनन स्वास्थ्य, रोजगार, पानी, सैनिटेशन व आवास आदि की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही शोभा एकेडमी के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान करते रहते हैं। यही नहीं मेनन ने केरल के पलक्कड़ जिले में स्थित दो ग्राम पंचायतों को गोद ले रखा है। वह इन पंचायतों में वृद्धाश्रम, शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य केंद्रों आदि का निर्माण व संचालन कर रहे हैं।
बिल गेट्स और वॉरेन बफेट का है प्रयास
बता दें कि 171 लोग अब तक गिविंग प्लेज पर दस्तखत कर चुके हैं। बिल गेट्स और वॉरेन बफेट ने साल 2010 में 40 ग्लोबल बिलियनेयर के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी। उसके बाद से दोनों फिलैंथ्रॉफी का प्रचार भी कर रहे हैं। वे दुनिया के अमीरों से अपनी संपत्ति का एक हिस्सा गरीबी से लड़ने और सभी वर्गों को फायदा पहुंचाने वाली ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए दान करने को कह रहे हैं।
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