सूर्य नमस्कार करने को कहती हैं रायपुर की ये मूर्तियां
आज पूरे देश में सुबह-सुबह योग दिवस मनाया गया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में जोश देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून में 55 हजार लोगों के साथ योगा किया। वहीं, बाबा रामदेव ने कोटा में 2.5 लाख लोगों के साथ योग कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वैदिककाल में शुरू हुआ योग आज महोत्सव का रूप ले चुका है।
वैसे, तो योग के सभी आसन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सूर्य नमस्कार का अपना ही अलग महत्व है और इसके महत्व को देखते हुए रायपुर सरकार ने गौरवपथ पर सूर्य नमस्कार के 12 आसन की मूर्तियां बना दी है। यह आसन हमेशा ही सूर्य नमस्कार के महत्व को दर्शाते रहते हैं। यह हमेशा ही सूर्य नमस्कार का प्रचार-प्रसार करते रहते हैं। यही नहीं इन मूर्तियों के पास पत्थरों में लगे संदेश हमेशा ही योग करने का बढ़ावा देते रहते हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में यह मूर्तियां कैनाल लिंकिंग रोड स्थित गौरव पथ पर लगी है। यहां पर आदमकद 12 प्रतिमाओं के माध्यम से वर्ष के 365 दिन व चौबीसों घंटे सूर्य नमस्कार का संदेश प्रसारित हो रहा है। सूर्य नमस्कार को प्रदर्शित करती इन प्रतिमाओं पर गर्मियों में सुबह-शाम तो सर्दियों में दिन चढ़ने पर यहां पर लोगों की भारी भीड़ जुटती है। अब ये स्थान योग साधना का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां पर अब सुबह लोग योग साधना भी करते हैं।
पश्चिम बंगाल के कारीगरों ने दिया अंतिम रुप
सूर्य नमस्कार को दर्शाती इन मूर्तियां के रूप में प्रणासन, हस्त उत्तानासन, पाद हस्तासन, अश्व संचालनासन, पर्वतासन व अष्टांग नमस्कार है इसके बाद फिर पुन: उतरते क्रम में भुजंगासन, पर्वतासन, अश्व संचालनासन, पाद हस्तासन, हस्त उत्तानासन व प्रणासन तक लगाया गया है। योग की इन मुद्राओं में खड़ी बारह आदमकद प्रतिमाओं को देखकर लगता है मानों अभी बोल पड़ेंगीं। पश्चिम बंगाल के कारीगर सुकांत ने इन जीवंत प्रतिमाओं को तीन माह के अंदर तैयार किया। सूर्य नमस्कार के लिए प्रेरित कर रहीं इन प्रतिमाओं का अनावरण दो वर्ष पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था।
ये लिखा गया है संदेश
"भारतीय वांडमय में सूर्य को आध्यात्मिक चेतना का शक्तिशाली प्रतीक माना गया है। सूर्य नमस्कार-सूर्य से शक्ति प्राप्त करने की विख्यात विधि है। इसके नियमित अभ्यास से स्वास्थ्य, शक्ति, क्रियाशीलता एवं जीवनदायिनी ऊर्जा की प्राप्ति के साथ आध्यात्मिक प्रगति भी होती है। आधुनिक शहरी जीवन की व्यस्त जीवनचर्चा के परिपेक्ष्य में ये वरदान है।"
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