पुणे के युवा ने बनाई नई इंडियन टॉयलेट सीट, बुजुर्गों को मिलेगी दर्द से राहत

आपने कभी स्क्वैट किए हैं? अगर नहीं तो अभी कर के देखिए। अपनी सीट से उठिए और एक पूरा स्क्वैट करिए और ध्यान दीजिए कि इसे आप कैसे कर रहे हैं। यह ऐसा होगा जैसे आप अपनी एड़ियों को ऊपर कर रहे हैं और सारा वजन अपने पंजे पर डाल रहे हैं। अब आप दोबारा अपनी एड़ियों को जमीन पर रखिए। ऐसा करते हुए आपके शरीर में एक खिंचाव हुआ? अगर आपके शरीर में ऐसा खिंचाव लगातार होता है तो इससे काफी दबाव पड़ता है, खासकर घुटनों और कमर पर, जिससे आपके पूरे शरीर के ज्वाइंट्स के लिए अच्छा नहीं है। 

ज्यादातर भारतीय रोज इसी तरह उठते-बैठते हैं, क्योंकि इंडियन टॉयलेट्स का डिजाइन कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन पुणे के एमआईटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के स्टूडेंट 26 साल के सत्यजीत मित्तल ने इसके बारे में कुछ करने का सोचा। 

सत्यजीत ने स्क्वैटईज नाम से एक नई डिजाइन की टॉयलेट शीट बनाई जिससे आपके शरीर पर किसी तरह का दबाव न पड़े। स्क्वैटईज भारतीय स्टाइल का ही टॉयलेट पॉट है जिसको यूनीडायरेक्शनल डिजाइन किया गया है, जिससे पानी भी कम खर्च होता है। सत्यजीत कहते हैं कि मैं संसाधनों की कमी, सवास्थ्य समस्याएं, सफाई और कचरा प्रबंधन व आराम की कमी जैसी मुद्दों से हमेशा प्रभावित रहा हूं। हालांकि, मुझे लगता है कि सबसे ज्यादा बड़ा मुद्दा है लोगों के व्यवहार और उनके शौचायल के इस्तेमाल की आदतों में बदलवा करना। ज्यादातर लोग टॉयलट पॉट पर जब बैठते हैं तो उनकी एड़ियां उठी हुई होती हैं सारा वजन पंजों पर होता है, इसके बाद उन्हें उठने में भी थोड़ी मुश्किल होती है। ये तरीका लोगों के गिरने की संभावना को बढ़ाता है, इसके अलावा इससे पानी भी ज्यादा बरबाद होता है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए सत्यजीत ने 2016 में स्क्वैटईज टॉयलेट बनाने के बारे में सोचा। इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें केंद्र सरकार से कुछ रकम भी मिली। सत्यजीत बताते हैं कि जब मैंने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया उस वक्त मैंने लोगों की टॉयलेट के लिए उठते और बैठते हुए लगभग 300 तस्वीरें लीं ताकि मैं उनके उठने-बैठने के तरीके को ठीक तरह से जान सकूं और इनसे मुझे यही पता लगा कि ज्यादातर लोगों के शरीर का वजन इस वक्त पंजों पर ही रहता है। 

इसके बाद सत्यजीत ने टॉयलेट पॉट का नया डिजाइन बनाया और वह लोगों के पास गए ताकि उनके प्रोडक्ट का टेस्ट हो सके। जब लोगों ने इसका टेस्ट कर लिया उसके बाद सत्यजीत पुणे के कमांड हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में गए ताकि वहां के डॉक्टर्स से भी ये चेक कराया जा सके कि इस पॉट पर बैठना और उठना लोगों के लिए कितना सही है। यहां के डॉक्टर्स ने ऐसे मरीजों से इसका टेस्ट कराया जिनके घुटनों में दिक्कत थी और वहां से भी इसे ग्रीन सिग्नल मिल गया। 

इस टॉयलेट सीट की खासियत है कि कोई भी व्यक्ति इस पर बिना किसी का सहारा लिए उठ और बैठ सकता है। सत्यजीत कहते हैं कि 2018 में मैंने सिंगापुर के वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई और अक्टूबर 2018 में इस प्रोडक्ट को बेचने के लिए बाजार में उतार दिया।

इस टॉयलेट सीट के फायदे

– इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि बिना किसी दर्द के कोई भी इस सीट पर आसानी से उकडूं बैठ सकता है। 

– जब कोई इस सीट पर उकड़ूं बैठता है तो उसके शरीर का दबाव पूरे पैर पर पड़ता बजाय सिर्फ पंजों पर पड़ने के।

– इस पर उकड़ूं बैठने पर भी आगे या पीछे की तरह गिरने का खतरा नहीं रहता। 

पीएम मोदी भी सत्यजीत के इस डिजाइन की तारीफ कर चुके हैं। स्क्वैटईज ने तीन महीने में 6000 टॉयलेट पॉट बेच दिए हैं। इसे इसकी वेबसाइट से खरीदा जा सकता है। एक सीट की कीमत 999 रुपये है। सत्यजीत कहते हैं कि कुंभ मेले के लिए उन्हें इनका बल्क ऑर्डर भी मिल चुका है। 

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