जानें, कोरोना के बाद देश में गांव से लेकर शहर तक कितनी बदल जाएंगी स्वास्थ्य सेवाएं
भारत में स्वास्थ्य सेवा (Medical Service) कैसी है यह किसी से छिपी हुई नहीं है। दुनिया के 195 देशों की सूची में भारत (India) स्वास्थ्य देखभाल एवं गुणवत्ता (Health Services) के मामले में 145वें स्थान पर है। स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) के सूचकांक में हमारा यह स्थान साफ दर्शाता है कि भारत में बुनियादी सेवा की क्या स्थिति है। किसी भी देश के लिए स्वास्थ्य का अधिकार (Health Services) जनता का पहला जरूरी और बुनियादी अधिकार होता है। हमारा देश चीन, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका समेत कई पड़ोसी मुल्कों से पीछे हैं, लेकिन इस मुसीबत की घड़ी में हमारे यहां की दवाएं ही पड़ोसी देशों से लेकर विकसित देशों के काम आ रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) की ऐसी स्थिति होने के बाद भी हम कोरोना (Coronavirus) से अच्छी तरह से निपट रहे हैं। दुनिया के विकसित देशों की तुलना में भारत में इससे संक्रमित (Coronavirus) मरीजों की संख्या काफी कम है।
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वैसे, भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Services) में सुधार के क्षेत्र में कोरोना (Coronavirus) वरदान साबित हो सकता है। यह भले ही अभी डरावना लग रहा है, लेकिन जिस तरह से देश में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाया जा रहा है, उससे आने वाले समय में भारत की स्थिति बेहतर होगी। देश में वेंटिलेटर से लेकर डॉक्टरों (Doctors) और पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी को भी पूरा किया जा रहा है। भारत इस समय अपनी आधारभूत संरचना को मजबूती देने में जुटा हुआ है। एक समय हम कोरोना (Coronavirus) जैसी बीमारी के संकट से निपटने के लिए तैयार ही नहीं थे। हमें एन-95 मास्क (N-95 Mask) से लेकर पीपीई कीट (PPE) तक के लिए दूसरे देशों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा था, लेकिन धीरे-धीरे हमने इस स्थिति में भी सुधार किया और अब देश में ही मास्क (Mask) से लेकर पीपीई (PPE) कीट का निर्माण हो रहा है। यही नहीं, दुनिया के कई देशों को हमने मलेरिया की दवा हाइड्रो क्लोरोक्वीन की सप्लाई की है।
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देश में अस्पताल और बेड़ों का यह है आंकड़ा
बुनियादी सुविधाओं की पोल नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के आंकड़ें ही खोलते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में 32 हजार सरकारी, सेना और रेलवे के अस्पताल (Hospital) हैं। देश के इन अस्पतालों में मरीजों के लिए महज चार लाख के आसपास ही बेड हैं। देश में बड़े शहरों से लेकर छोटे शहर तक फैले निजी अस्पतालों (Private Hospitals) की बात की जाए तो इनकी संख्या करीब 70 हजार के आसपास हैं। अब दोनो ही जगहों के बेड़ों को मिला लिया जाए, तो देश में बेड़ों क आंकड़ा महज 15 लाख ही पहुंचता है।
देश की करीब 130 करोड़ जनसंख्या के सापेक्ष बेडों की संख्या बहुत कम है। देश में अगर आईसीयू (ICU) और वेंटिलेटर (Ventilators) की स्थिति देखें तो यह नाकाफी है। इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू (ICU) बेड हैं। वहीं, पूरे देश में वेंटिलेटर (Ventilators) की संख्या महज 40 हजार ही है। ऐसी स्थिति में भविष्य की चुनौती से निपटने के लिए अब भारत अपने को तैयार कर रहा है। देश में अब बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। इतने कम समय में अस्पतालों (Hospitals) का निर्माण नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्हीं जगहों पर अब बेड़ों का विस्तार किया गया है।
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वेंटिलेटर (Ventilators) की कमी होगी पूरी
देश में इस समय भले ही वेंटिलेटर (Ventilators) की कमी चल रही है, लेकिन भविष्य में देश में वेंटिलेटर (Ventilators) की कमी को काफी हद तक पूरा कर लिया जाएगा। इस समय देश में युद्ध स्तर पर वेंटिलेटर यूनिटों (Ventilators Units) की स्थापना की जा रही है। देश में भविष्य की स्थिति को देखते हुए अब सरकार करीब 50 हजार वेंटिलेटर यूनिट (Ventilators Unit) की स्थापना करा रही है। सरकार ने इसके लिए बड़ा ऑर्डर दिया है।
अगले दो महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की बढ़ी कंपनी बीईएल (BHEL) 30 हजार वेंटिलेटर (Ventilators) की सप्लाई करेगी। इसके अलावा मारुति सुजुकी कम्पनी नोएडा की निजी कंपनी एग्वा हेल्थकेयर के साथ में मिलकर 10 हजार वेंटिलेटर (Ventilators) की स्थापना कराने जा रही है। इसके अलावा अन्य तरीकों से देश में वेंटिलेटर (Ventilators) की स्थापना की जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना (Coronavirus) से निपटने के लिए भारत अपने को तैयार कर रहा है। देश में वेंटिलेटर (Ventilators) से लेकर बेड और आईसीयू (ICU) वार्ड को तैयार किया जा रहा है।
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भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य (Village Health Services) सुविधा में सुधार
भारत में इस समय अगर सरकारी अस्पतालों (Govt Hospitals) का आंकड़ा देखा जाए तो इनकी संख्या 19,653 हैं। यहां पर बिस्तरों का आंकड़ा करीब 8 लाख के आसपास है। देश में ग्रामीण क्षेत्र में कुल 15,818 अस्पताल (Hospital) और शहरी क्षेत्र में 3,835 अस्पताल (Hospital) (यह आंकड़ा 2017 की रिपोर्ट के आधार) हैं। भारत की सत्तर प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है। सरकार की तरफ से गांव तक सुविधा पहुंचाने के लिए करीब 1,53,655 स्वास्थ्य उप केंद्र, 25,308 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और 5,396 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) का निर्माण किया हैं। सरकार ने अस्पतालों (Hospitals) का निर्माण कर दिया है, लेकिन यहां पर स्टॉफ की भारी कमी चल रही है। भारत में इस समय कुल 649,481 गांव हैं। देश में 5 हजार की जनसंख्या पर एक उप केंद्र, 30 हजार जनसंख्या पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 1.20 लाख पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मानक है।
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अब कोरोना काल (Coronavirus) में सरकार इसकी कमी को पूरा करने का प्रयास कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मापदंड के अनुसार देश में प्रति एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर (Doctors) होना चाहिए, लेकिन इस समय देश में 1,456 लोगों पर एक डॉक्टर (Doctors) है। सरकार ने डॉक्टरों (Doctors) की कमी को दूर करने के लिए पिछले कुछ सालों में सीटों को बढ़ाया है। देश में एमबीबीएस (MBBS) और पीजी (PG) की सीटें बढ़ाने के साथ ही 70 जिला अस्पतालों (District Hospitals) को मेडिकल कॉलेज (Medical Collage) में तब्दील कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय मान रहा है कि तमाम कोशिशों के बाद देश में 2025 तक ही डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा सकता है।
इस देश में अगर चिकित्सा शिक्षा की जाए तो देश में कुल 9 एम्स (AIIMS) (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) हैं। वहीं, 476 मेडिकल कॉलेज (Medical Collage) सरकार ने स्थापित किए हैं। यहां पर 2017-18 में 52,646 दाखिले एमबीबीएस के लिए हुए थे। देश में 2017 तक कुल 1,041,395 रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर (Doctors)हैं।
गांवों तक टेली-मेडिसन (Tele Medicine Center) के जरिए पहुंचने की कोशिश
देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए टेली-मेडिसन (Tele Medicine Center) पद्धति को अपनाया जा रहा है। गांव-गांव तक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से यह सुविधा पहुंचाई जा रही है। कोरोना (Coronavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से सरकारी सीएससी (CSC) के जरिए गांव तक सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा पंचातयों (Panchayats) में टेली मेडिसन सेंटर (Tele Medicine Center) विकसित करके भी ग्रामीण लोगों को बेहतर चिकित्सीय सलाह उपलब्ध कराई जा सकती है।
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स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Services) में बढ़ा जीडीपी (GDP) का प्रतिशत
देश में स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Services) में आधारभूत परिवर्तन लाने के लिए सरकार काम कर रही है। बुनियादी सुविधा को आमजन तक सुलभ से पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार इस क्षेत्र में प्राथमिकता दे रही है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार ने 2019 में अपनी कुल जीडीपी (GDP) का महज 1.5 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र (Health Services) में खर्च किया है। 2020-21 में सरकार इसे बढ़ाकर 1.6 करने जा रही है। 2025 तक सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल जीडीपी (GDP) का 2.5 फीसद तक खर्च करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
वैसे विकसित देशों की तुलना में कुल जीडीपी (GDP) का यह आंकड़ा बहुत कम है। बात अगर अन्य देशों की जाए तो उसमें सबसे पहले अमेरिका का नाम आता है। अमेरिका 14.3 प्रतिशत, जर्मनी 9.5 प्रतिशत, जापान 9.2 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) पर जीडीपी (GDP) का खर्च करता है। इसके अलावा चीन अपनी जीडीपी (GDP) का 2.9 प्रतिशत खर्च करता है। ब्राजील भी 3.9 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है। अब जब कोरोना (Coronavirus) की वजह से देश की हालात बदल गई है, तो ऐसे में आने वाले समय में देश में स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तन देखने को मिलेगा।
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