एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल होगी अटल बिहारी वाजपेयी की कविता

पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कविता 'कदम मिलाकर चलना होगा' अब नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की किताब का हिस्सा बनेगी। संशोधित किताबें मार्च से शुरू होने वाले नए सेशन के पाठ्यक्रम में शामिल होंगी। हालांकि अभी तक एनसीईआरटी ने यह नहीं बताया है कि यह कविता किसी पूर्व कविता को हटाकर जगह लेगी, या नए में समायोजित होगी। अब अटल बिहारी वाजपेयी महान साहित्यकारों जैसे रामधारी सिंह दिनकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और हरिशंकर परसाई की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे। अटल जी की मृत्यु बीते साल 16 अगस्त को हो गई थी।
यह खबर भी पढ़ें- फल के छिलकों से साफ हो सकता है झीलों का गंदा पानी, इस लड़के ने की खोज
एचआरडी ने की थी संस्तुति
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल करने की संस्तुति एचआरडी मंत्रालय ने की थी। एनसीईआरटी समय-समय पर अपनी किताबों में बदलाव करता रहा है। वर्ष 2017 में उसने किताबों में 1334 अहम संशोधन किए थे। साथ ही 182 किताबों में सुधार कार्य किया था। अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर केन्द्र सरकार काफी सक्रियता दिखा रही है। उनके निधन पर भी सरकार ने कई शोक कार्यक्रमों का आयोजन किया था।
यह भी पढ़ें : 12 साल की उम्र में इस लड़के ने किया कमाल, डिजाइन की प्रदूषण कम करने वाली शिप
पढ़िए- कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
इस सेक्शन की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
टेक्नोलोजी
अन्य खबरें
Loading next News...
