घर की छत पर विमान बनाने वाले पायलट अमोल यादव का सपना होगा साकार

अपने ही घर की छत पर विमान बनाने वाले मुम्बई के पायलट अमोल यादव के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा। फरवरी 2016 में घर की छत पर 6 सीटों वाला विमान बनाकर सुर्खियों में आए अमोल यादव का सपना अब साकार होने जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार की मदद से अब वह देश में छोटे विमानों को तैयार करेंगे।
अमोल यादव के कारखाना लगाने के सपने को महाराष्ट्र सरकार ने साकार किया। उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए महाराष्ट्र सरकार न सिर्फ उन्हें जमीन ही नहीं बल्कि आर्थिक रूप से भी मदद करेगी। महाराष्ट्र सरकार ने 20 फरवरी को देश के पहले स्वतंत्र विमान निर्माता कैप्टन अमोल यादव को पालघर में 19 सीटर विमान बनाने के लिए एक स्वदेशी कारखाना लगाने के लिए मंजूरी प्रदान कर दी। मुम्बई से 100 किलोमीटर दूर स्थित पालघर में उन्हें इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए 157 एकड़ जमीन सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा आर्थिक रूप से भी मदद की जाएगी। इस परियोजना की लागत 35,000 करोड़ रुपये है।
दस हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
घर की छत पर ही विमान बनाने वाले अमोल यादव का विमान मुंबई में हुए मेगा आयोजन ‘मेक इन इंडिया’ में प्रदर्शित किया था। लंबे इंतजार के बाद अब अमोल की मेहनत रंग लाई है और महाराष्ट्र सरकार ने उनके साथ 35 हजार करोड़ की डील की है। हालांकि जब उन्होंने मुम्बई में अपना प्रोजेक्ट पेश किया था तभी महाराष्ट्र सरकार ने उनके प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का इरादा बना लिया था। सरकार ने घोषणा की थी कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के हिस्से के रूप में परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए पूर्व डिप्टी चीफ पायलट की कंपनी को पालघर में 157 एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी। अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने अमोल यादव की थ्रोस्ट एयरक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ छोटे विमान के लिए एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर कर दिया है। उन्होंने यह समझौता महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के साथ किया है। अमोल के अनुसार इस कारखाने से लगभग 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
अगले तीन सालों में 600 विमान बनाने का है लक्ष्य
19 सीट का विमान बनाने का कारखाना लगाने जा रहे अमोल अपने सपने को पूरा करने के लिए तुरंत काम शुरू कर देंगे। उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया कि पहले चरण में वह 19 सीट के तीन तरह के प्रोटोटाइप विमान बनाएंगे। जिसके लिए तत्काल में 200 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए छः माह के अंदर ही 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अमोल के अनुसार सरकार ने 35,000 करोड़ रुपये के लिए जो समझौता किया है। उससे अगले 2 से 3 सालों में 19 सीटों के लगभग 600 विमान बनाएगे। इसके बाद इसकी संख्या को अब 1,300 तक ले जाने का लक्ष्य हैै। उन्होंने बताया कि 19 सीटों के 1,300 विमान बनाने की हमारी योजना भी है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हमने कई संभावित निवेशकों की पहचान भी की है जो हमारे इस प्रोजेक्ट में मदद करेंगे। सरकार हमारे प्रोजेक्ट में मदद कर ही रही है।
1998 में शुरू किया था विमान निर्माण का काम
सतारा जिले के मूल निवासी और फिलहाल मुंबई में रहने वाले कैप्टन अमोल यादव ने 1998 में एयरक्राफ्ट कंपनी के माध्यम से देश में पहले विमान निर्माण का कार्य शुरू किया। हालांकि उनके पहले प्रयास में रुकावट आ गई। इससे निराश न होकर यादव ने 2003 में दूसरा प्रयास किया, यह भी अधूरा ही रह गया। इसके बाद तीसरा प्रयास उन्होंने 2009 में शुरू किया और इस बार वे अपने प्रयोग में सफल हो गए। सफल होने के बाद अमोल यादव ने अब 19 सीटों वाले विमान के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। कैप्टन यादव के लगातार प्रयासों को देखते हुए राज्य सरकार ने महाराष्ट्र मैग्नेटिक कार्यक्रम के तहत करार कर लिया है।
सपना पूरा करने के लिए मां ने बेचा था मंगलसूत्र
सफलता की कामयाबी पर चढ़ चुके अमोल का सफर इतना आसान नहीं रहा है। अमोल ने एक इंटरव्यू में बताया था ‘मेरे सपने को सकार करने के लिए मां ने अपना मंगलसूत्र बेचकर मुझे पैसे दिए। भाई ने अपना घर तक गिरवीं रख दिया, ताकि मैं अपने सपने को साकार कर सकूं।’ उन्होंने बताया कि मैंने एयरक्राफ्ट बनाने के लिए घर की छत पर ही टीन शेड लगाया, वहीं काम शुरू किया। जेट एयरवेज में डिप्टी चीफ पायलट रहे अमोल ने घर की छत पर 19 साल मेहनत करके एयरक्राफ्ट टीएसी-003 बनाया था। एयरक्राफ्ट 2011 में बन गया था। तब से अमोल सर्टिफिकेट पाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन सरकारी सिस्टम का उन्हें भी शिकार होना पड़ा और उन्होंने अंत में देश छोड़ने का निर्णय कर लिया था। अमोल ने निराश होकर अपने विमान के प्रोटोटाइप के साथ अमेरिका जाने की तैयारी करने लगे। लेकिन इस प्रतिभा को जल्द ही सर्टिफिकेट मिल गया। जिसके बाद उन्होंने विदेश जाने का तय कार्यक्रम बदल दिया और देश में ही सपने को आकार देने में जुट गए।
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