मशरूम उत्पादन एक फायदेमंद बिजनेस है उन लोगों के लिए जिनके पास खेती करने को ज्यादा जमीनें नहीं हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मशरूम के साथ-साथ आप उसके वेस्ट का भी बहुत अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं।
राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान केंद्र सोलन के विशेषज्ञों ने मशरूम के वेस्ट को खेती और बागवनी के लिए बहुत अच्छा बताया है। विशेषज्ञों ने तो ये तक कहा है कि मानें तो मशरूम के वेस्ट में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। किसान इस मशरूम वेस्ट का इस्तेमाल रि-साइकिल करने के बाद कर सकते हैं। अभी भारत के साथ ही साथ जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका में भी मशरूम वेस्ट से खाद बनाई जाती है।
उपजाऊ शक्ति से भरपूर है ये खाद
इस खाद का इस्तेमाल बायोगैस और केंचुआ खाद बनाने के लिए भी किया जाता है। मशरूम वेस्ट को कहीं भी साफ-सुथरी जगह गड्डा खोदकर उसमें 8 से 16 माह तक सड़ने के बाद खाद के रूप में तैयार किया जा सकता है। अभी तक किसान जानकारी की कमी में मशरूम के कच्चे वेस्ट ही खेतों में डाल देते हैं, इससे खेत को भी नुकसान होता है। हमारे देश में हर साल लगभग 5 लाख मीट्रिक टन मशरूम वेस्ट निकलता है। इसमें 1.9 फीसदी नाइट्रोजन, 0.4 फास्फोरस और 2.4 फीसदी पोटैशियम होता है। ये खेत की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में काफी मददगार हैं। ये जमीन में पोषक तत्वों की कमी को दूर करके उसकी उपजाऊ क्षमता को कई गुना बढ़ा देते हैं।
पर्यावरण के लिए भी अच्छा
मशरूम वेस्ट खुला छोड़ना पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे जमीन के अंदर मिलने वाला पानी भी दूषित होता है। कई हानिकारक साल्ट भूमि के नीचे पानी में मिल जाते हैं। इसमें कार्बन व नाइट्रोजन की अधिकता के कारण कई दूसरे जीवाणु पनपते हैं, जिससे बदबू भी आती है।
फसल को नहीं होगी बीमारी
खुंब निदेशालय (डीएमआर) सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि मशरूम वेस्ट का इस्तेमाल, कृषि, बागबानी व भूमि सुधार के लिए किया जा सकता है। इसमें पानी सोखने की क्षमता ज्यादा होती है, जिससे खेतों में लंबे समय तक नमी रहती है। यह खेतों में लगने वाली बीमारियों से भी फसलों की रक्षा करता है। इसलिए किसानों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए इसमें खर्चा भी नहीं हैं।