चाय के साथ 'वाय' भी है इस नुक्कड़ पर, यहां काम करने वाले सभी हैं दिव्यांग

नुक्कड़ का मतलब तो आप जानते ही होंगे, वही कोने वाली दुकान जहां जाकर आप अपने दोस्तों के साथ गपशप करते और चाय पीते हैं। जिसे हम और आप नुक्कड़ वाली दुकान के नाम से जानते हैं।
ऐसी ही एक दुकान छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी है। इस दुकान की कहानी जानकार आप जरूर चौक जाएंगे। यह कोई ऐसी वैसी चाय की दुकान नहीं है। इस नुक्कड़ कैफे में सबकुछ अलग है।
चुप्पी इसकी खासियत
नरेंद्र मोदी जब इस देश के प्रधानमंत्री बने तो एक नाम दिया दिव्यांग। जी हां! हम उन्हीं की बात कर रहे हैं। इस कैफे की खासियत है कि यहां काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारी दिव्यांग हैं। यह नुक्कड़ चाय कैफे जिसे नुक्कड़ टीफे भी कहा जाता है, यूं तो कई मायनों में अलग है, लेकिन इसे सबसे अलग बनाता है यहां का स्टाफ। यहां काम करने वाले शेफ से लेकर परोसने वाले तक, ज्यादातर व्यक्ति न तो बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं।
चाय के साथ 'वाय' भी मिलती है यहां
यह कैफे चाय के साथ आपको कई चीजें फ्री में परोसता है। मसलन आप यहां मूक-बधिरों की सांकेतिक भाषा मुफ्त में सीख सकते हैं, किताबें पढ़ सकते हैं और कविताएं सुन या सुना सकते हैं। यहां चाय के साथ जो 'वाय' मिलती है उससे आपकी चुस्की का स्वाद कई गुना बढ़ जाएगा।
कैसे हुई इसकी शुरुआत
इस नुक्कड़ टीफे की शुरुआत करने वाले 31 वर्षीय प्रियंक पटेल पेशे से इंजीनियर हैं। पांच साल एक कंपनी में काम करने के बाद 2011 में एक फेलोशिप प्रोग्राम का हिस्सा बनकर प्रियंक पहली बार ग्रामीण भारत के संपर्क में आए। प्रियंक पटेल द्वारा 2013 में शुरू किये गये इस कैफ़े में केवल ऐसे लोगों को नौकरी पर रखा जाता है जो बोलने और सुनने में असक्षम है। इसके पीछे का इनका मकसद समाज के लिए एक नए तरीके से कुछ करना है। यह कैफ़े, चाय और नाश्ते के साथ ही एक खूबसूरत माहौल देता है जहांआप सुकून के दो पल ज़रूर गुज़ारना चाहेंगे।
प्रियंक बताते हैं कि वो हमेशा से चाहते थे कि अभी की युवा पीढ़ी को एक ऐसा मंच दें जिससे समाज से जुड़ने का एक अवसर हो। नुक्कड़ के पीछे उनका मकसद ऐसे लोगों को रोज़गार देना है, जो सुनने और बोलने में असक्षम हैं। उनकी यह इच्छा भी थी कि एक ऐसी जगह बनाएं जहां स्वयंसेवी संस्थाएं, कलात्मक और युवा लोग सामने आयें, आपस में मिले और काम करें।
वाद विवाद कार्यक्रम भी होते हैं
यहां की टीम नए-नए विषयों पर वाद विवाद का कार्यक्रम करवाती है साथ ही ऐसे कई आयोजन भी करवाती है, जिससे यहां पर आये लोगों का समय यादगार बन जाए।
कुछ ऐसा जो कहीं नहीं है...
डिजिटल डिटोक्स: यहां ऐसे लोगों को छूट मिलती है जो यहां आने पर अपना फ़ोन जमा कर देते हैं। प्रियंक बताते हैं, “हम नहीं चाहते कि हमारे ग्राहक यहां आ कर अपने फ़ोन से चिपके रहें, या उन लोगों से चैटिंग करते रहे जो असल में यहाँ मौजूद नहीं है। हम चाहते हैं कि वे यहां आ कर अच्छा समय गुज़ारे, मस्ती करें, किताबें पढ़ें, नए लोगों से मिलें।'
ज्ञान दान: लोग यहांआ कर अपनी किताब जमा कर सकतें हैं और बदले में यहाँ की कोई किताब तीन दिनों के लिए अपने साथ ले जा सकते हैं ।
सुपर मॉम सेलिब्रेशनअपनी मां को साथ लाने पर यह कैफ़े उनकी पसंद की कोई भी एक डिश बिलकुल मुफ्त देता है।
टी एंड टोन्स: यहां ऐसे आयोजन किये जाते हैं, जहां कोई भी ग्राहक माइक पर अपने पसंद की कविता सुना सकता है।
बिल बाय दिल: यह कैफ़े अपनी वर्षगाँठ ‘बिल-मुक्त दिवस’ के रूप में मनाता है। ग्राहकों को बिल की जगह एक खाली लिफाफा पकड़ा दिया जाता है, जिसमे वे अपनी ख़ुशी से पैसे डाल देते हैं।
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