New Education Policy 2020: वर्षों तक पढ़ाने वाले शिक्षामित्रों का ये होगा अंजाम

उत्तर प्रदेश में चल रही 69000 शिक्षकों की भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment) में मुख्य केंद्र पर शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) ही रहे हैं। शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) की प्राथमिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी कुछ नरम दिख रही है। उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने जब इनको पूरी तरह से भर्ती से बाहर करने का फैसला लिया किया, तो यह लोग न्यायालय चले गढ। पहले उच्च न्यायालय (High Court) फिर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court)। शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) को उम्मीद है कि उन्हें उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलेगा। यह शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) आखिर इतना परेशान क्यों हैं, इसकी वजह क्या आपने कभी जाने की कोशिश की। यूपी टीईटी (UP TET) की परीक्षा पास करीब 45 हजार शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) आखिर क्यों अपना मौका नहीं गंवाने देना चाहते हैं। 

जी हां, अगर नहीं मालूम है तो हम आपको बताते हैं। केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से लगाई गई नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) में शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) का पूरी तरह से अस्तित्व समाप्त कर दिया जाएगा। जिन्होंने स्कूलों में 15 साल तक पढ़ाया अब उन्हें शिक्षा विभाग (Eduction Deprtment) की तरफ से बाहर निकाल दिया जाएगा। सरकार के इस कदम की ही वजह प्रदेश के लाखों शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) परेशान है।

आखिर अब उम्र के इस पड़ाव पर उनका आखिर क्या सहारा रहेगा। बता दें, बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत बहुत से शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) 50 साल की उम्र को पार कर चुके हैं। उम्र के इस पड़ाव पर होने की वजह से वह बेहतर तरीके से पढ़ाई नहीं कर पाए और न ही टीईटी (TET) की परीक्षा पास कर पाएं और न ही सुपर टेट (Super TET) की। ऐसे में अब जब उनकी नौकरी के कुछ वर्ष ही बचे हैं। ऐसे में इन्हें अब सरकार की तरफ से बाहर निकालने की तैयारी कर ली गई है। सरकार के इस निर्णय अब प्रदेश के हजारों शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) परेशान है। बता दें, पूर्व में रही सपा सरकार (Spa Government) ने प्रदेश के करीब एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) को नियमित करके उनकी मेहनत का अवार्ड दिया था, लेकिन अब उन्हें 2022 तक बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

आखिर क्या है नई शिक्षा नीति में फैसला

मोदी सरकार (Modi Government) ने  शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी लाने के लिए पिछले 34 साल से चली आ रही शिक्षा नीति ( Education Policy (EP 1986) को समाप्त करके अब नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) बनाई गई है। सरकार की तरफ से बनाई गई नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) में कई सरकारे अहम बदलाव किए गए हैं। कस्तूरीनंदन के नेतृत्व में बनाई गई नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए हैं।

मोदी सरकार (Modi Government) ने इससे कैबिनेट में पास करके पूरे देश में लागू करने की अनुमति दे दी गई है। बता दें, नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) में कमेटी ने पैरा शिक्षकों को लेकर बहुत बड़ा फैसला लिया है। अब 2022 तक पूरे देश में (शिक्षामित्रों और शिक्षा से जुड़े हुए लोगों को बाहर)  पैरा शिक्षकों को बाहर करने का फैसला लिया गया है। कमेटी के इस निर्णय से उत्तर प्रदेश के हजारों शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) अब नौकरी से बाहर हो जाएंगे और इस तरह से शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) के नाम अस्तित्व पूरे देश से ही मिट जाएगा। बता दें, पूरे देश में शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) को सरकारों ने नौकरी में वेटेज देते हुए अधिकतर शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) को सरकारी कर दिया है।

15 साल की मेहनत का मिलेगा फल

रायबरेली के गोरा बाजार स्थित प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षामित्र (Shiksha Mitra) गायत्री यादव सरकारी शिक्षक नहीं बन सकी है। वह विद्यालय में अभी बतौर शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) पढ़ा रही है। यही नहीं, वह शहर के इस स्कूल का चार्ज भी संभाल रही है और अकेले ही दम पर स्कूल को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है। वह भले ही स्कूल और विभाग का नाम ऊंचा करने के लिए बेहतर काम रही हो, लेकिन सरकार ने उनके काम का मूल्यांकन नहीं किया है।

उन्हें बाहर निकालने का निर्णय ले लिया है और 2022 से पहले कभी भी उनकी संविदा को समाप्त करके घर पर बैठने को कह दिया जाएगा। सिर्फ गायत्री यादव ही नहीं बल्कि प्रदेश के हजारों शिक्षामित्रों (Shiksha Mitras) का यही दर्द है। अब उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता नई शिक्षा नीति के तहत दिखा दिया जाएगा। इस तरह से किसी शिक्षामित्र (Shiksha Mitras) ने विभाग को 15 साल दिए और किसी ने 10 साल दिए, उन्हें इसका कोई बेहतर फल नहीं मिला है। अब सरकार की तरफ से उन्हें पूरी तरह से बाहर करने का फैसला कर लिया गया है। 

अनुदेशकों को लेकर संशय

उत्तर प्रदेश के जूनियर स्कूलों में इस समय अनुदेशक कार्यरत है। उत्तर प्रदेश में पूर्व में अखिलेश यादव की रही सरकार (Akhilesh Yadav Government) में प्रदेश के जूनियर स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए अनुदेशकों की भर्ती की गई थी। अनुदेशकों को विभाग में संविदा के आधार पर रखा गया है। प्रदेश के जिन पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या 100 से अधिक है, वहां पर बेहतर शिक्षा के लिए अनुदेशकों की तैनाती का फैसला किया गया था। स्कूलों में शारीरिक शिक्षा, कला, कृषि, गृह विज्ञान सहित अन्य विषयों से पास अभ्यर्थियों को अनुदेशक के तौर पर विद्यालय में नौकरी दी गई थी। अब नई शिक्षा नीति के तहत उन पर भी भविष्य में कोई फैसला लिया जा सकता है।

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