डॉ. वर्गीज कुरियन, जिन्हें भारत में “श्वेत क्रांति के जनक” के रूप में जाना जाता है, ने देश के दुग्ध उत्पादन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी दूरदृष्टि और समर्पण ने भारत को दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया और इसे विश्व के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों में स्थान दिलाया। उनका जीवन किसानों, सहकारी समितियों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझीकोड में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उन्होंने भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल की और बाद में मेकैनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री के लिए मद्रास विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। उच्च शिक्षा के लिए उन्हें टाटा स्कॉलरशिप के तहत अमेरिका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी भेजा गया, जहां उन्होंने डेयरी इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता हासिल की।
डेयरी क्षेत्र में योगदान
भारत लौटने के बाद डॉ. कुरियन ने 1949 में गुजरात के आनंद शहर में एक सरकारी डेयरी में काम करना शुरू किया। यहीं से उनके करियर और देश के डेयरी क्षेत्र का कायाकल्प शुरू हुआ।
- उन्होंने अमूल ब्रांड की स्थापना की, जो आज भारत का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड है।
- 1970 में उनके नेतृत्व में शुरू की गई ऑपरेशन फ्लड योजना ने भारत को दूध की कमी से निकालकर एक दुग्ध-आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया।
- यह दुनिया की सबसे बड़ी कृषि पहल में से एक थी, जिसने किसानों को सशक्त बनाया और भारत को “श्वेत क्रांति” की सफलता का श्रेय दिलाया।
ऑपरेशन फ्लड की उपलब्धियां
- दूध उत्पादन में भारत दुनिया में पहले स्थान पर पहुंचा।
- सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को स्थायी आय का साधन मिला।
- महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे ग्रामीण इलाकों में उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
- डेयरी उत्पादों की कीमतें स्थिर रहने से आम जनता को भी लाभ हुआ।
ग्रामीण विकास में योगदान
डॉ. कुरियन का मानना था कि किसानों के सशक्तिकरण से ही देश की प्रगति संभव है। उन्होंने सहकारी समितियों का मॉडल विकसित किया, जिसने छोटे किसानों को बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मंच दिया।
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. कुरियन को उनके असाधारण योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- पद्म श्री (1965)
- पद्म भूषण (1966)
- पद्म विभूषण (1999)
- रैमन मैग्सेसे पुरस्कार (1963)
डॉ. कुरियन की विरासत
20 सितंबर 2012 को डॉ. कुरियन का निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। अमूल और ऑपरेशन फ्लड की सफलता न केवल भारत के दुग्ध उद्योग को बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रेरित करती है। उनकी कहानी हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा है, जो बदलाव लाने का सपना देखता है।
निष्कर्ष
डॉ. वर्गीज कुरियन केवल डेयरी उद्योग के सुधारक नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने भारत के गांवों को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा और उसे साकार किया। उनकी सोच, मेहनत और नेतृत्व ने न केवल भारत को पोषण में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि लाखों किसानों के जीवन में खुशहाली भी लाई।
डॉ. कुरियन का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति का दृढ़ निश्चय और ईमानदारी पूरे देश की तस्वीर बदल सकता है।