मुरादाबाद की बेटियों ने दिव्यांगों के लिए बनाया ये खास चश्मा

हाथ-पैर खराब होने के चलते कुछ भी न कर पाने वाले दिव्यांगों के लिए मुरादाबाद की बेटियों ने एक खास चीज खोजी है। दिव्यांगों के काम को आसान बनाने के लिए मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) की तीन छात्राओं ने शोध करके एक ऐसा अनूठा स्मार्ट चश्मा तैयार किया है, जो दिव्यांगों के लिए हाथ का काम करेगा।
यह चश्मा शारीरिक अक्षमता के चलते हाथ और पैर नहीं चला पाने वालों की सोच को कंप्यूटर स्क्रीन पर उतार देगा। इस अनूठे चश्मे की खोज करने वाली बेटियों का दावा है कि दिव्यांगजनों के लिए अभी तक बने उपकरणों में कहीं न कहीं हाथ या पैर टच करना पड़ता है। चाहे वह कंप्यूटर ही क्यों न हो, लेकिन इसमें इसकी जरूरत नहीं होगी। चश्मा उनके लिए ज्यादा उपयोगी होगा, जिनके गर्दन से नीचे का हिस्सा मूवमेंट में नहीं हैं। मन मस्तिष्क के इशारों को समझकर कंप्यूटर काम करेगा।
छात्रा स्वप्निल पाठक, ऋषिका गुप्ता और फाल्गुनी भारद्वाज ने इसको निजात करने के लिए पहले फिल्म देखी तो उसके बाद उनमें ऐसा करने का विचार आया और इसके बाद उन्होंने गूगल पर भी सर्च किया। तीनों छात्राओं को मूवी द बोन कलेक्टर देखकर आया गूगल पर सर्च करने के बाद पता चला कि सबसे हल्का सेंसर एडीएक्सएल 335 है, जिसके डायेरेक्शन में सेंस अंकित होता है।
इस तरीके से सब कुछ समझने के बाद उनमें विचार आया कि आखिर क्यों न ऐसा किया जाएगा। तीनों को गाइड करने वाले एमआइटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया के तहत बनाया गया है। दिव्यांगो को समाज में उनका सही स्थान दिलवाने के लिए तैयार किया गया है। विभागाध्यक्ष डॉ. फारूख हुसैन ने बताया कि इस शोध को प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर शेयर किया गया है।
ये चश्मा कुछ इस तरह से करेगा काम
शोध छात्राओं के अनुसार चश्मा ब्लूटूथ के जरिये कंप्यूटर से कनेक्ट होगा। चश्मे में ऐक्सेलेरोमीटर सेंसर का उपयोग किया गया है। इससे दिव्यांग जिस तरफ अपना चेहरा करेगा, उस दिशा को ऐक्सेलेरोमीटर सेंस करके कम्प्यूटर के कर्सर को मूव करा देगा। यह डाटा सेंस होने के बाद माइक्रो कंट्रोलर चिप को संदेश भेजेगा। चिप इस डाटा को कम्प्यूटर स्क्रीन पर दर्शाएगा। इससे कंप्यूटर पर पूरा काम किया जा सकेगा। इसके जरिये कम्प्यूटर को टच करने की जरूरत नहीं होगी।
इसमें माइक वायस रिकग्निशन सिस्टम भी लगा है, जिसकी मदद से किसी भी फोल्डर का चयन कर उसे खोल या बंद किया जा सकेगा। यह सेंसर फूंक के मुताबिक काम करेगा। यही नहीं अगर चश्मा खो जाता है तो ऐसी स्थिति में आसानी से मिल भी जाएगा। इसमें ढूढंने कीअतिरिक्त सुविधा उपलब्ध है। जीपीएस सिस्टम से लैस चश्मे का एसपीआरओ एप के जरिये पता लगाया जा सकता है। जीपीएस सिस्टम के जरिये एप से कनेक्ट होते ही चश्मे में बर्जर बजेगा, जिसकी मदद से उसे आसानी से खोजा जा सकता है।
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