प्लास्टिक के कचरे से बना दिया पेट्रोल, कीमत जानकर हैरान रह जाएंगे आप

प्लास्टिक से बढ़ते प्रदूषण को लेकर हैदराबाद के एक प्रोफेसर ने आश्चर्यजनक खोज की है। 45 वर्षीय प्रोफेसर सतीश कुमार ने प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल कर पेट्रोल और ईंधन बनाने की टेक्नोलॉजी ईजाद की है। इस प्रक्रिया को उन्होंने पायरोलीसिस नाम दिया है। उनकी टेक्नोलॉजी से 500 किलोग्राम रिसाइकिल्ड न होने वाली प्लास्टिक से करीब 400 लीटर पेट्रोल का उत्पादन किया जा सकता है। यह पेट्रोल प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पेट्रोल से करीब 30 प्रतिशत सस्ता होता है।

इस प्रक्रिया से नहीं होता प्रदूषण

प्रो सतीश ने अपनी एक कंपनी बनाई है, जिसका नाम हाइड्रोक्सी प्राइवेट लिमिटेड है। इसमें सतीश प्लास्टिक पायरोलीसिस प्रक्रिया के जरिए प्लास्टिक से पेट्रोल, डीजल और हवाई विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन का उत्पादन करते हैं। सतीश बताते हैं कि यह प्रक्रिया बेहद ही साफ-सुथरी है, इससे किसी प्रकार का प्रदूषण भी नहीं होता। इसमें पानी का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता। उन्होंने बताया कि उनके इस प्रोजेक्ट को अगर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाए तो दुनियाभर में बढ़ रही प्लास्टिक कचरे की समस्या का आसानी से हल निकाला जा सकता है। हर साल पूरे विश्व से अरबों टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, इसमें से ज्यादा रिसाइकिल नहीं हो पाता है।

अभी तक रिसाइकिल की 50 टन प्लास्टिक

सतीश ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2016 में की थी। वह अभी तक करीब 50 टन से ज्यादा प्लास्टिक को ईंधन में तब्दील कर चुके हैं। उनकी कंपनी रोजाना 200 किलोग्राम प्लास्टिक से करीब 200 लीटर पेट्रोल बना रही है। इस पेट्रोल को आसपास के उघोगों के लिए मुहैया कराया जाता है। इस पेट्रोल की कीमत 40 से 50 रुपये रखी गई है। हालांकि अभी तक इस ईंधन का वाहनों में प्रयोग नहीं किया गया है। अगर ये प्रयोग सफल होता है तो प्लास्टिक कचरे का सकारात्मक हल निकल सकता है।

सबसे बड़ी है प्लास्टिक के कचरे की समस्या

प्लास्टिक को लेकर खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वायु प्रदूषण से ज्यादा दुनिया पर प्लास्टिक के सामान से होने वाला खतरा मंडरा रहा है। सैकड़ों साल तक न गलने वाली प्लास्टिक की पहुंच समंदर तक भी पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार हर साल अरबों टन प्लास्टिक समंदर में जा रहा है, जो जलीय जीवों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है। एक रिसर्च में आए तथ्य के अनुसार एक हफ्ते में करीब 5 ग्राम प्लास्टिक इंसान के शरीर में किसी न किसी रूप में प्रवेश कर जाती है। यह इंसान को बीमार बना रही है।

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