असल में बजरंगी भाईजान बना मुंबई का ये पुलिसकर्मी, सिर्फ आठ दिनों में खोजी बच्ची
सलमान खान की बजरंगी भाईजान फिल्म तो आपने देखी होगी, इस फिल्म में पाकिस्तान से भारत आ गई बच्ची को तमाम मशक्कत के बाद बच्ची के परिजनों से मिलाया था। कुछ ऐसा ही मुंबई पुलिस के अग्रीपाडा पुलिस थाने में कार्यरत पीएसआई अमित बाबर ने किया है। अमित के लिए तीन साल की बच्ची कुसुम को बिना किसी सुराग के खोजना और उसके परिजन को सौंपना आसान काम नहीं था। अमित ने 16 दिसंबर की शाम सवा छह बजे केस आने के बाद जी-जान से बच्ची की तलाश में जुट गए। अमित ने बताया कि सही से बोल भी नहीं पाने वाली बच्ची को ढूंढ़ना न सिर्फ चुनौती भरा कार्य होता है, बल्कि जोखिम भी काफी रहता है।
रेलवे स्टेशन से शुरू की जांच
16 दिसंबर को जैसे ही अमित बाबर के पास यह मामला आया, उन्होंने तभी ठान लिया था कि चाहे जो भी हो, बच्ची कुसुम के माता-पिता के उदास चेहरे पर वह अवश्य ‘मुस्कान’ लाएंगे। उन्होंने भायखला स्टेशन परिसर, जहां से अपराह्न सवा दो बजे बच्ची गायब हुई थी, बच्ची की तलाश शुरू की। कुछ सुराग के आधार पर उसी दिन कल्याण गए और फिर वहां से पुणे रवाना हुए। मगर, बच्ची नहीं मिली।
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दिखी संदिग्ध महिला
17 दिसंबर की देर रात वे वापस मुंबई लौट आए। केस की दोबारा नए सिरे से जांच की, तो मौके पर मौजूद एक महिला के हाथ में एक बैग दिखाई दिया। बैग के खरीदार की जांच की तो भायखला बाजार में बैग की दुकान मिल गई। दुकानदार से मिली जानकारी के आधार पर जिस संदिग्ध का पता चला, वह आंध्र प्रदेश जाने वाली गाड़ी से निकल चुकी थी।
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घर में छिपाई थी बच्ची
अमित मुंबई से आंध्र प्रदेश रवाना हुए, जहां स्थानीय पुलिस की मदद से संदिग्ध महिला के बदले एक अन्य औरत मिली। उसने संदिग्ध महिला के संबंध में हैदराबाद नहीं, बल्कि पुणे में होने की जानकारी दी। रास्ते में अंग निकालने वाले गिरोह और अपाहिज कर भीख मंगवाने वाले गिरोह के हाथ बच्ची के लग जाने का शक डरा रहा था। वहां से वापस आने के बाद दोबारा पुणे जाकर उक्त ठिकाने पर छापेमारी की, तो आरोपी महिला शकीना (28) मिल गई, जिसने अपने घर में बच्ची को छुपा रखा था।
आठ दिन बाद बच्ची को किया परिजनों के सुपुर्द
शकीना ने बताया कि वह किसी ऐसी महिला को बच्ची देने वाली थी, जिसे बच्चे की चाहत हो। इसके लिए वह अक्सर मुंबई, पुणे, आंध्र प्रदेश समेत अन्य जगहों पर भटकती रहती थी। अमित ने बताया कि करीब आठ दिन बाद बच्ची को जब उनके माता-पिता को सौंपा गया तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए।
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