450+ बेटियों के जन्म पर नहीं ली इस डॉक्टर ने फीस, वजह है बेहद नेक

पुणे के मेडिकेयर हॉस्पिटल के डॉ. राख ने साल 2012 में मुलगी वाचवा (बेटी बचाओ) अभियान शुरू किया। इसके तहत उन्होंने अस्पताल में पैदा होने वाली बच्ची के ऑपरेशन, उपचार का खर्च माफ करना शुरू कर दिया। इसके पीछे उनकी सोच थी कि लोग अगर बेटे के जन्म पर जश्न मनाते हैं, तो वह बेटियों के जन्म पर जश्न मनाएंगे। डॉ. राख का खुशियां बांटने का यह तरीका खासा कामयाब रहा है।
पिछले चार साल में उनके अस्पताल में 450 से भी ज्यादा बच्चियों ने जन्म लिया और उन्होंने बच्चियों का मां-बाप से एक भी पैसा नहीं लिया। डॉ. राख के अस्पताल में आए दिन जश्न मनता है। लोग बेटी के जश्न पर मोमबत्तियां जलाते हैं, मिठाई बांटते हैं, चॉकलेट बांटते हैं और खूब खुश नजर आते हैं। हर कोई डॉ. राख को बधाई और दुआएं देते हुए अस्पताल से बाहर निकलता है।

कुछ दूर के इलाकों से भी लोग डॉ. राख के अस्पताल यह मनाते हुए आते हैं कि उन्हें लड़की नसीब हो और यह सोच बनी है डॉ. राख की दरियादिली की बदौलत। लोग कहते हैं कि क्योंकि डॉ. राख फीस नहीं लेते, इसलिए आसपास कई अस्पताल होने के बावजूद वे मेडिकेयर हॉस्पिटल का रुख करते हैं। इस तरह वह गरीबों के मसीहा भी बन चुके हैं।
डॉ. राख के लिए भी यह फैसला आसान नहीं था। उनकी खुद की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। लिहाजा, पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनकी इस पहल का विरोध किया। पत्नी को डर था कि उनका ही घर कैसे चलेगा। मगर, डॉ. राख के पिता ने उनका पूरा साथ दिया।

इतने साल बाद, डॉ. राख के काम की हर कोई तारीफ करता है। क्या मंत्री, क्या अधिकारी और क्या सिलेब्रिटीज...सभी डॉ. राख को हीरो मानते हैं। भला, इससे अच्छा कोई बेटी बचाओ अभियान का चेहरा हो सकता है क्या?
फिलहाल डॉ. राख देश के दूसरे डॉक्टरों से भी इस पहल में शामिल होने के लिए गुजारिश कर रहे हैं। कुछ डॉक्टरों ने इस अनोखी पहल में उनका साथ देने का वादा भी किया है। हम भी यही कामना करते हैं कि उनकी इस मुहिम को देशभर के लोग समझें और बेटी के जन्म पर जश्म मनाना शुरू करें।
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