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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खतौली रेलवे स्टेशन के पास बीते शनिवार को उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के कारण हादसा हो गया जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई। ये तो हुई खबर! लेकिन हम आपको जो बताने जा रहे हैं वो मौजूदा समय में समाज में प्रायोजित रूप से घट रही घटनाओं पर करारा जवाब है।
इस समय देश में हालात कुछ इस कदर बन रहे हैं जहां कुछ लोग धर्मों के बीच दीवारें खड़ी करने की सोच रहे हैं, लेकिन ये घटना आपको बता देगी कि कैसे अभी भी भारत में भाईचारा और सभी धर्मों का आपस में तालमेल कैसा है?
आपको बता दें, जहां उत्कल एक्सप्रेस हादसा हुआ, उसके एक ओर अहमद नगर नाम की नई आबादी है। ये मुस्लिम बस्ती है, जबकि रेलवे पटरी के दूसरी तरफ 'जगत' नाम की कॉलोनी है। रेल हादसे के बाद यहां धर्म और मजहब की सभी दीवारें टूट गईं। मुस्लिम और हिंदू युवकों ने मिलकर ट्रेन में फंसे घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने का काम शुरू किया।
इस हादसे में घायलों में ज्यादातर वो लोग हैं जो हरिद्वार गंगा स्नान को जा रहे थे। इन्हीं में संतों की कई टोली थी था जो इस एक्सीडेंट के समय बुरी तरह घायल हो गए। घायल संतों में से एक भगवान दास महाराज जो भगवा चोले में थे, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि कैसे एक्सीडेंट के तुरंत बात पास के ही मुस्लिम बस्ती के युवाओं ने इन लोगों को क्षतिग्रस्त बोगियों से निकाला और उपचार के लिए ले गए।
भगवान दास का कहना है कि अगर मुस्लिम युवक समय पर न आते तो बचना मुश्किल था। वहीं, चश्मदीद अहमद नगर के मोहम्मद रिजवान और अनीस ने बताया, जिस समय ये हादसा हुआ वो अपने घर के बाहर खड़े थे। आवाज सुनकर वो भी घबरा गए कि आखिर हुआ क्या? लेकिन जैसे ही रेलवे ट्रैक की ओर देखा तो होश उड़ गए। ट्रेन पटल गई थी और वहां धुएं के गुब्बारे उड़ रहे थे। ट्रेन के डिब्बे से चीखों की आवाज आ रही थी। सब लोग दौड़ पड़े और घायलों को बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया गया। रिजवान कहते हैं कि एक ही डिब्बे से 40 से अधिक घायलों को बाहर निकाला, 5-6 ऐसे थे जिनकी मौत हो चुकी थी।
इस दुर्घटना के बाद पूरा मोहल्ला अपने घरों से निकलकर घायलों की मदद कर रहा था। खतौली के मिस्त्री-मैकेनिक भी वहां पहुंच गए। उन्होंने अपने औजारों की मदद से डिब्बे काटकर उसमें फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू कर दिया। इस हादसे में घायल हुए संत हरिदास ने बताया, सब कुछ अचानक हुआ। तेज धमाके की आवाज के बाद डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। चीख-पुकार मच गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर हुआ क्या? कुछ होश आया तो डिब्बे पूरी तरह पलट चुके हैं। लोग जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे, ऐसे में पास की मुस्लिम बस्ती से कुछ युवक दौड़कर आए और एक-एक कर डिब्बे में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने लगे।
यकीनन जब देश में हिंदू मुस्लिम के नाम पर नफरत की सियासत चरम पर हो! धर्म के नाम पर बांटने का खेल खेला जा रहा हो, ऐसे में मुजफ्फरनगर में स्थानीय मुस्लिमों ने वाकई भाईचारे और इंसानियत को अहमियत दी।