व्हॉट्सऐप ने 20 साल से लापता शख्स को परिवार से वापस मिलाया
राजस्थान का एक शख्स जो 20 साल से अपने परिवार वालों से दूर था, व्हॉट्सऐप के जरिए एक बार फिर उनसे मिल गया। इस व्यक्ति का नाम महावीर सिंह चौहान है। वह पिछले 20 साल से अपने परिवार से दूर कर्नाटक में रह रहे थे और उनके परिवार को इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
राजस्थान के जालौर जिले के झाब गांव के रहने वाले महावीर ने 20 साल बाद अपने 24 वर्षीय बेटे प्रद्युमन से बंगलुरू के नीमहंस अस्पताल में मुलाकात की। प्रद्युमन उस वक्त महज चार साल के थे जब उन्होंने अपने पिता को आखिरी बार देखा था। वहीं प्रद्युमन के छोटे भाई रघुपाल की उम्र उस वक्त महज एक साल थी।
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दरअसल, घर से भागने से पहले महावीर मुंबई में बिजनेस करते थे। 1998 में उन्हें बिजनेस में बड़ा घाटा हुआ और वह शर्म की वजह से घर छोड़कर चले गए। उनके पिता गनपत सिंह चौहान और परिवार के बाकी सदस्यों ने उन्हें बहुत ढूंढा। पुलिस में शिकायत भी की, लेकिन महावीर का कोई पता नहीं चला। पांच साल बाद तक जब कहीं से कोई खबर नहीं आई तब सबने हार मान ली। महावीर बंगलुरू आ गए थे और बीते 20 साल से यहीं रह रहे थे।
शनिवार को महावीर की तबीयत अचानक खराब हो गई और वह रोस फार्म में बेहोश पड़े मिले। वह वहां सुपरवाइजर का काम करते हैं। महावीर के दोस्त उन्हें स्थानीय अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने वहां से महावीर को नीमहंस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। महावीर के एक दोस्त बंगलूरू में फोटोग्राफी का काम करते हैं और राजस्थान से हैं। वह कहते हैं कि महावीर से इतने सालों में बस यही जानने को मिला कि उनकी शादी हो चुकी है और घर पर दो बच्चे, पत्नी और पिता हैं।
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महावीर की तबीयत खराब थी। उनके दोस्तों को लगा कि ऐसी स्थिति में उनके परिवार वालों को उनके साथ होना चाहिए। उन्होंने महावीर की फोटो और उनका ड्राइविंग लाइसेंस व्हाट्सएप पर पोस्ट किया जिसे कई राजस्थानी ग्रुपों में शेयर किया गया।
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इसके बाद महावीर के दोस्तों को एक के बाद एक फोन और मैसेज आने लगे। महावीर के बेटे प्रद्युमन तक भी ये खबर पहुंची और उन्होंने अपने पिता को कॉन्टैक्ट करने के लिए उस नंबर पर कॉल की। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही फ्लाइट से बंगलुरू पहुंच रहे हैं। प्रद्युमन ने अस्पताल आने के बाद अपने पिता के पैर छुए। महावीर ने अपने बेटे से कहा, "आज मैं अपने सभी अपराधों से मुक्त हो गया हूं, मुझे उसी जगह ले चलो जहां से मैं संबंध रखता हूं।" भावुक होते हुए पद्युमन कहते हैं कि मेरे परिवार में सिर्फ मां को ऐसा लगता था कि पापा वापस आएंगे। बाकी सब हार मान चुके थे। अब इन्हें जल्द ही राजस्थान ले जाया जाएगा।
महावीर 20 सालों तक अपने परिवार से दूर रहे। इन 20 सालों में उन्होंने 8 भाषाएं सीखी हैं। वह मराठी और कन्नड़ भाषा काफी अच्छे से बोल लेते हैं। महावीर के दोस्त ने ये बात बताई। उन्होंने कहा कि महावीर ने फार्म में ड्राइवर, फोटोग्राफर, माली, सेल्समैन और सुपरवाइजर के तौर पर काम किया है।
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महावीर के दोस्त ने कहा कि हालांकि महावीर ने फैसला लिया था कि वह अपने परिवार के पास कभी नहीं लौटेंगे लेकिन बीते तीन साल से उनमें अपने परिवार के प्रति स्नेह जाग रहा था। उन्होंने एक अन्य नाम से सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाया था और अपने बेटों को फॉलो करते थे। वह कई बार परिवार से मिलने की इच्छा भी जताते रहे हैं।
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