तीन पीढ़ियों से देश को वीर जवान दे रहा है महाराष्ट्र का ये गाँव

देश की सेवा करने वाले वीर जवान ज्यादातर हमारे गाँवों से ही निकलते हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में गिरगाँव नाम का एक गाँव हैं जहां की खासियत ये है कि यहां के परिवारों से तीन-तीन पीढ़ियां भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा करती आ रही हैं।
गाँव के लगभग हर परिवार का बेटा बड़ा होकर सेना में भर्ती होना चाहता है। कई मांओं ने अपने बेटे खोए हैं और कई लोगों का सुहाग देश पर न्योछावर हो गया है लेकिन इसके बावजूद देशभक्ति की लौ लोगों के दिलों में आज भी बराबर जल रही है। प्रथम विश्व युद्ध से लेकर इस गाँव ने अब तक 280 वीर देश की सेवा में दिए हैं और अभी भी सुरक्षाबलों में यहां के जवान भर्ती होने के लिए सबसे आगे खड़े मिलते हैं।
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1971 की जंग में तीन भाइयों ने दिखाया था शौर्य
1971 के युद्ध में भी इस गांव के सुभाष पाटिल ने अपने तीन भाइयों के साथ युद्ध लड़ा था और अपने शौर्य को लोहा मनवाया था। वहीं 1857 में हुए विद्रोह के दौरान भी यहां के जवान फिरंगोजी शिंदे ने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी थी। उनकी प्रतिमा आज भी गांव के बीच में लगी है। शिंदे की वीरता की विरासत को गांववाले आगे बढ़ा रहे हैं। गाँव के जवान सेना में भर्ती होने के लिए प्रैक्टिस करते रहते हैं और सुरक्षाबलों में शामिल भी होते हैं।
वर्तमान में 65 युवा सेना को दे रहे हैं सेवा
गिरगांव के ही एक और फौजी नामदेव पाटिल ने कश्मीर में दो आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। अभी की बात करें तो इस समय के 65 युवा भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नामदेव पाटिल और उनके अन्य रिटायर्ड साथी गांव के युवाओं को सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग देते हैं। इसके अलावा वे बच्चों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। 2001-2002 में एक ही बैच के 13 छात्रों ने सुरक्षाबलों को जॉइन किया था।
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