यहां 'भगवान के घर' से मिलता है किसानों को बिना ब्याज के कर्ज

मंदिरों मे चढ़ावे की रकम का अगर सही तरह से प्रयोग किया जाय तो कई लोगों की मुसीबतें खत्म की जा सकती हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां साल में इतनी रकम दान की जाती है कि उससे कई छोटे देशों की अर्थव्यवस्था चलाई जा सके। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहां से लोगों को खासकर किसानों को बिना ब्याज के लोन दिया जाता है।
लोन के लिए किसी गारंटी और कागज की जरूरत नहीं
भास्कर की खबर के मुताबिक ग्वालियर के श्योपुर जिले का पांडोली गांव में स्थित गुसाईजी महाराज मंदिर समानांतर बैंक की तरह काम कर रहा है। यहां से किसानों को जरूरत के मुताबिक लोन दिया जाता है। सबसे बड़ी बात किसानों को इन पैसों पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता। इसके एवज में गारंटी या किसी तरह के कागजात की जरूरत नहीं है।
50 गांवों से आते हैं किसान
खबरों के मुताबिक आसपास के 50 गांवों से किसान यहां लोन लेने आते हैं। बीते दस साल में एक भी लोन बकाया नहीं है। यानी सौ फीसदी कर्ज पटा दिए गए। 300 साल पुराने इस मंदिर की आमदनी हर साल 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है। मंदिर में पैसे लगातार बढ़ते जा रहे थे इसलिए 10 साल पहले नवलपुरी महाराज समिति ने आदर्श ट्रस्ट समिति बनाई।
किसानों को ही दिया जाता है लोन
समिति द्वारा ही किसानों को लोन दिया जाता है। समिति ने आज तक किसी भी किसान को लोन देने से इनकार नहीं किया। दो हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से किसानों को पैसे दिए जाते हैं। हर साल 50-60 किसानों को मदद दी जाती है। पिछले 10 साल में यहां से सैकड़ों किसानों को मदद दी जा चुकी है। किसान रामअवतार मीणा बताते हैं ‘किसान को एक साल में मूलधन अदा करना होता है। मैंने मंदिर से खेती करने के लिए 50 हजार रुपए का कर्ज लिया है।
एक साल के अंदर चुकाना होता है कर्ज
इस धन को मुझे एक साल में अदा करना है। चूंकि रकम पर मुझसे कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। इसलिए मूलधन वापस करने में कोई परेशानी नहीं होगी। लोन देने से पहले कोई गारंटी भी नहीं ली गई है। कहीं ओर से मदद लेता तो जमीन बंधक रखनी पड़ती, पैसा नहीं चुका पाता तो वो भी हाथ से जाती। पर यहां बेफिक्र होकर लोन लिया जा सकता है।’ पांडोली के किसान हरिओम मीणा बताते हैं ‘हर साल मंदिर से लाखों रुपए कर्ज किसानों को दिया जाता है। मंदिर की मान्यता इतनी है कि आज तक कर्ज का एक भी रुपया नहीं डूबा।’
हर गुरुवार को लगता है मेला, हजारों रुपए चढ़ावा आता है


पुजारी शंभूनाथ योगी के मुताबिक ‘1100 आबादी वाले पांडोली गांव में 50 फीसदी लोग मंदिर से कर्ज लेकर चुका चुके हैं। दरअसल गुसांई महाराज और उनके शिष्य नवलपुरी महाराज ने संवत 1772 में यहां समाधि ली थी। लोगों ने यहां मंदिर बनाया और हर गुरुवार को मंदिर परिसर में लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान मंदिर में चढ़ाए जाने वाले दान में नकद राशि भी बड़ी मात्रा में होती है। मंदिर में मुस्लिमों की भी आस्था है। श्योपुर समेत कोटा, बांरा जिलों से भी यहां श्रद्धालु आते हैं और हजारों रुपए चढ़ावे में रखते हैं।’
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