डिजिटल टूल के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा लिंग समानता का पाठ

बाल विवाह किसी भी समाज के सम्पूर्ण विकास में बाधक है। जिसे रोकने के लिए सरकार बहुत से कार्यक्रम चला रही है। साथ ही देश में कई एनजीओ भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं। अब इसी कुरीति को राजस्थान में मोबाइल फोन के जरिए कुछ वालंटियर कर रहे हैं। जिससे बहुत हद तक बाल विवाह जैसी कुरीति समाज से दूर हो रही है।
इस काम की शुरुआत 19 वर्षीय साहिल नाम के युवक ने की। साहिल ने खुद इस बुराई को महसूस किया। गांव में लोग इस बुराई पर चर्चा करना नहीं पसंद करते थे। उसके बाद मोबाइल पर साहिल ने इसके बारे में कहानी सुनी। फिर उसने अपने दादा को इस कहानी के बारे में बताया। साहिल इन्हीं कहानियों को अपने दोस्तों को भी सुनाने लगे और एक-एक करके ये सिलसिला बढ़ता गया।
ये कहानियां हिंदी में होती थीं जिनकी साहिल ने ऑडियो सीरिज तैयार कर ली थी। इन कहानियों का मुख्य विषय लिंग के आधार पर किसी से भी भेदभाव न करना और सेक्स के प्रति जागरूकता फैलाना होता है। जिसे बड़े ही सरल ढंग से पेश किया जाता है। इस कार्यक्रम को किशोर वार्ता नाम दिया गया है।
जो अबतक राजस्थान के बूंदी जिले के 250 गांवों में अपनी पहुंच बना चुकी है। राजस्थान भारत का ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा जेंडर गैप है। साथ ही अशिक्षा की वजह से घरेलू और सेक्स से जुड़े लड़ाई झगड़े होते हैं। इसके अलावा इस राज्य में बाल विवाह सबसे ज्यादा होते हैं। यहां 15 वर्ष की उम्र लड़कियों की और 19 वर्ष की उम्र लड़कों की शादियां हो जाती हैं।
धीरे-धीरे दिखाई देता है बदलाव
वालंटियर आदर्श कहते हैं कि बदलाव कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जो एक दम से समाज में दिखने लगेगी। लेकिन अगर ये कहानियां लगातार यूं ही लोगों तक पहुंचती रहीं तो समाज से इस बुराई को जड़ से खत्म किया जा सकता है। मंजरी गांव के बजरंग सिंह कहते हैं, “इन युवाओं ने जिस तरह से इस कार्यक्रम को दूर-दूर तक फैलाया है।
उससे जन जागरूकता का ये आलम है कि गांव से लोग और जानकारी भेजने की मांग करने लगे हैं। जागरूकता फ़ैलाने में ये डिजिटल टूल बेहद ही प्रभावकारी है।” ये कहानियां लड़कियों तक भी पहुंचाई जा रही हैं, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने और ज्यादा आजादी से जीने का सबक मिल रहा है। साथ ही वह शादी देर से कराने की बात भी कह रही हैं।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
