गरीब लड़कियों को शिक्षित कर लवलीना कर रहीं नेक काम

वंचित तबके की लड़कियों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए जयपुर की लवलीना सोगानी ने एक अनोखा कदम उठाया है। गरीब तबके की लड़कियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्होंने विमुक्ति गर्ल्स स्कूल की शुरुआत की है, जहां पर उन्हें मुफ्त में शिक्षा दी जाती है।
देश के बाकी राज्यों की तुलना में राजस्थान का गैरबराबरी के मामले में रिकॉर्ड चिंताजनक है। इसके अलावा यहां के ग्रामीण इलाकों के लोग आजीविका चलाने के लिए दूसरे शहर चले जाते हैं। निम्न जीवन स्तर और गरीबी का सबसे ज्यादा दंश लड़कियों को ही झेलना पड़ता है और फिर वे भेदभाव का शिकार होती हैं।
जहां एक ओर लड़कों को पढ़ने की आजादी और घर से सहयोग मिल जाता है वहीं लड़कियों से ये अपेक्षा रहती है कि वे घर के काम में हाथ बंटायेंगी। ऐसे माहौल में गरीब लड़कियों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लवलीना सोगानी ने एक अनूठी पहल की है।
वे जयपुर के स्लम इलाकों में शिक्षा से वंचित रह जाने वाली लड़कियों के लिए स्कूल चलाती हैं और उन्हें मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध कराती हैं।
संगीता की बातों ने झकझोर दिया लवलीना का दिल
लवलीना बताती हैं कि मेरी सोसाइटी में हमारे गार्ड की 14 साल की बेटी संगीता मेरी बच्ची के साथ खेलने के लिए आती थी। एक बार मैं बच्चों के लिए एक गिलास दूध के साथ बिस्किट लेकर आई। मैंने देखा कि संगीता चुपचाप गिलास की ओर एकटक देखे ही जा रही थी।
ये देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए और मैं भागकर किचन से उसके लिए एक गिलास दूध लेकर आई। लवलीना बताती हैं कि दूध पीने के बाद संगीता ने बताया कि लड़कियां दूध नहीं पीतीं, दूध तो सिर्फ मेरे भैया (भाई) के लिए होता है। संगीता दो बहनें थीं, लेकिन सिर्फ उसका भाई ही स्कूल जाता था। संगीता की बात सुनकर लवलीना आवाक रह गईं।
जब उन्हें पता चला कि समाज का एक ऐसा भी तबका है जहां लड़कियों की परवरिश इतनी बुरी हालत में होती है और फिर उन्होंने स्कूल खोलने की ठान ली। उन्होंने थोड़ी सी जगह में दो-तीन मेज और कुछ बच्चियों के साथ विमुक्ति गर्ल्स स्कूल की शुरुआत की। आज उनके इस स्कूल में तकरीबन 600 लड़कियां पढ़ती हैं और ये संख्या साल दर साल बढ़ती ही चली जा रही है।
छोटी से छोटी बात का ध्यान रखते हैं शिक्षक
लवलीना के विमुक्ति गर्ल्स स्कूल से केजी से आठवीं तक की पढ़ाई करने वाली रितु चौहान के पिता भजन गाने का काम करते हैं और उनकी मां हॉस्टल में खाना बनाती हैं।
रितु के तीन छोटे और एक बड़ा भाई है। रितु बताती हैं, कि इस स्कूल में पढ़ाने के तरीके ने उन्हें काफी प्रभावित किया। यहां के टीचर्स हर एक बच्चे पर बराबर ध्यान देते हैं। वहीं बाकी के स्कूलों में इस बात से कोई मतलब नहीं होता, कि बच्चे का पढ़ाई में मन लग रहा है या नहीं।
इंग्लिश सिखाने पर दिया जाता है जोर
विमुक्ति स्कूल में लड़कियों को इंग्लिश सिखाने पर भी जोर दिया जाता है, ताकि वे कहीं भी बेधड़क अंग्रेजी में बात कर सकें। अभी रितु एक सरकारी स्कूल में अपनी आगे की पढ़ाई कर रही हैं।
उनका सपना है, कि वे आर्मी ज्वाइन कर देश की सेवा करें। लवलीना ने रितू जैसी न जाने कितनी लड़कियों के हौसले को उड़ान दी है। जो अब जिंदगी में आगे बढ़ने के ख्वाब देख रही होंगी।

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