कोरोना वायरस से जंग जीतने में ऐसे कामयाब रहा भीलवाड़ा, पढ़ें वायरस पर कैसे पाया काबू
राजस्थान का भीलवाड़ा भला कोई कैसे भूल सकता है। यहां पर कोरोना वायरस के एक के बाद एक केस मिलने से राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक चितिंत हो गई थीं, लेकिन भीलवाड़ा ने ही अब पूरे देश को उम्मीद की किरण दिखाई है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन रोकने के लिए जिस तरह से यहां पर उपाय किए गए, उसकी वजह से अब भीलवाड़ा पूरे देश के लिए मॉडल बन चुका है। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गाबा भी भीलवाड़ा के कलेक्टर और राज्य सरकार की तारीफ कर चुके हैं।
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आज भले ही कोरोना वायरस देश के 223 जिलों में फैल चुका है, लेकिन भीलवाड़ा हॉटस्पॉट की आशंका से अब उबर चुका है। यहां पर पिछले एक सप्ताह में शनिवार को कोरोना पॉजिटिव का सिर्फ एक मामला सामने आया है। हालांकि, 20 मार्च के बाद जिस तरह से यहां पर केस मिलना शुरू हुए थे, उससे पूरे देश की चिंता बढ़ गई थी। डॉक्टरों की मदद और जनता के सहयोग से भीलवाड़ा में कोरोना के आंकड़ों को 27 पर ही रोक दिया गया है। अब केंद्र सरकार कोरोना से लड़ने के लिए भीलवाड़ा मॉडल को पूरे देश में लागू करने पर विचार कर रही है।
भीलवाड़ा को लेकर क्यों चिंतिंत थे सब
राजस्थान की टेक्स्टाइल सिटी कहे जाने वाले भीलवाड़ा में 19 मार्च को एक ही अस्पताल में दो डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए थे। ये डॉक्टर विदेश से आए कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति का इलाज करने की वजह से इसकी चपेट में आए थे। इसकी जानकारी जयपुर में उस व्यक्ति की मौत के होने बाद हुई। उसकी मौत के बाद खोजबीन में पता चला कि उस मरीज ने 8 से 14 मार्च तक भीलवाड़ा में इलाज कराया था। उनका इलाज यहां के ब्रजेश बांगड़ मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने किया था। सांस की समस्या होने की वजह से उसने डॉ. आलोक मित्तल से इलाज कराया था। मगर, इस दौरान उसने डॉक्टर से यूएई की यात्रा की बात छिपा ली थी। उस व्यक्ति का इलाज करने के बाद डॉक्टर करीब 6,000 लोगों के संपर्क में आए थे। जिला प्रशासन को जब यह बात पता चली तो उनके हाथ-पांव फूल गए। प्रशासन ने तत्काल में डॉ. मित्तल को आईसोलेशन वार्ड में भेज दिया और उनसे इलाज कराने वाले लोगों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। जांच के दौरान करीब 15 हजार लोगों को आइसोलेशन में भेजा गया। राज्य सरकार और जिला प्रशासन की आक्रामक रणनीति की वजह से ही कोरोना पर काबू पाया जा सका। इसका नतीजा यह रहा कि 30 मार्च से अब तक यहां पर कोरोना का सिर्फ एक पॉजिटिव मामला आया है।
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डीएम ने अपनाया यह तरीका
जिले के डीएम राजेंद्र प्रसाद भट्ट ने 19 मार्च को मामला प्रकाश में आते ही तत्काल छह टीमें बनाईं। इन टीमों ने गांवों, मेडिकल व्यवस्था, घरों में जरूरी सामान पहुंचाने, इमरजेंसी सुविधाओं का जायजा लिया। 20 मार्च से पूरे शहर में सर्वे का काम शुरू हो गया। 15 हजार से अधिक लोगों की लिस्ट बनाई गई, जिन्हें सर्दी, खांसी या फिर बुखार था। डीएम ने तत्काल में सभी को आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया। अगले 100 घंटे में शहर से लेकर गांव तक की मैपिंग की गई। इस गंभीर समस्या को देखते हुए जिले की सीमाएं सील कर दी गईं। यही नहीं, कोई भी व्यक्ति घर से बाहर न निकले इसके लिए घरों के बाहर पुलिस पहरा देती रही। खास करके दूसरे सर्वे में चिह्नित किए गए 1,215 लोगों के घरों पर ज्यादा चौकसी बरती गई। अब भी इन सबके घरों पर सरकारी कर्मचारियों के जरिए पहरा लगाया जा रहा है। किसी भी मजदूर को जिले से बाहर नहीं जाने दिया गया। प्रवासी मजदूरों के रहने की अलग से व्यवस्था की गई और जरूरत की सारा सामग्री भी डीएम ने उपलब्ध कराई। जिले में कोई भी बाहर न निकले के लिए इसके लिए एप बनाया गया और उसके माध्यम से भी निगरानी की गई। डीएम ने जनप्रतिनिधियों, मीडिया और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शहर में प्रवेश करने से रोक दिया। शहर में सिर्फ जिला प्रशासन और पुलिस के कुछ अधिकारी शहर में रहे। शहर में तीन दिनों लगे महा कर्फ्यू के दौरान तीन हजार पुलिस के जवान और एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए गए।
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राज्य सरकार ने बनाई यह नीति
भीलवाड़ा के एक निजी अस्पताल में डॉक्टर के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उस अस्पताल के कई स्वास्थ्यकर्मी भी पॉजिटिव हो गए थे। एक के बाद एक लोगों के पॉजिटिव मिलने से भीलवाड़ा से लेकर जयपुर और दिल्ली तक हड़कंप मच गया। बांगड़ अस्पताल के डॉक्टरों ने एक दो हजार नहीं बल्कि करीब 6 हजार से अधिक मरीजों का इलाज किया था। इस केस के सामने आते ही राजस्थान का स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन हरकत में आया और देश में सबसे पहले भीलवाड़ा शहर में ही कोरोना की वजह से कर्फ्यू लागू किया गया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि भीलवाड़ा में 16 हजार स्वास्थ्य कर्मियों की टीमें लगा दी गईं। टीम ने कर्फ्यू के दौरान घर-घर जाकर स्क्रीनिंग का काम शुरू किया गया। स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार 10 दिनों के अंदर ही करीब 18 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की। इस दौरान जितने भी लोग सर्दी जुकाम से पीड़ित मिले, सभी को घरों से निकालकर क्वारनटीन किया गया। उन्हें घर से बाहर न निकलने की सख्त हिदायत दी गई। यही नहीं, भीलवाड़ा के सभी फाइव स्टार और थ्री स्टार होटल, रिजॉर्ट और प्राइवेट अस्पतालों को भी सरकार ने अधिग्रहीत कर लिया। उन्होंने बताया कि इस दौरान सबसे खास बात यह कि हमारे डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ने अपना मनोबल ऊंचा रखा। उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि हम लोग इतने बड़े संकट से उबरने में कामयाब रहे।
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भीलवाड़ा बना देश के लिए मॉडल
राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना वायरस से निपटने को लेकर अपनाई गई नीति पूरे देश में लागू हो सकती है।भीलवाड़ा में जिस तरह से कोरोना वायरस को काबू पाया गया है उसकी तारीफ हर जगह हो रही है। केंद्र सरकार ने भीलवाड़ा में इलाज के लिए उपयोग की गई दवाओं की सूची से लेकर अन्य तरीकों के बारे में जानकारी मांगी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार ने सही समय पर सही फैसले लिए हैं। हम कोरोना को रोकने में कामयाब रहे, जिसकी वजह से पूरे देश में राजस्थान सरकार के इन कदमों की सराहना की जा रही है। उन्होंने कहा कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन रोकने के लिए हमारी तरफ से किए गए उपायों की सराहना केन्द्र सरकार ने भी की है।
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