तीन साल कानूनी संघर्ष के बाद राजस्थान की इस ट्रांसजेंडर को मिली पुलिस की वर्दी

सुप्रीम कोर्ट ने भले ही ट्रांसजेंडरों सरकारी नौकरी में आराक्षण प्रदान कर दिया हो लेकिन इसके बाद भी सरकारें मानने को तैयार नहीं है। सरकारी नौकरी में लिंग को लेकर अभी भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है। कई विभागों में उनके लिए नौकरी नहीं है। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान में देखने को मिला है।
जहां एक ट्रांसजेंडर को पुलिस की वर्दी पहनने के लिए तीन वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा। हाईकोर्ट में लड़ाई के बाद आखिरकार गंगा कुमारी पुलिस की वर्दी पहनने की अनुमति मिली और वे राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर बन गई हैं, जिसे पुलिस की वर्दी पहनने का अवसर मिलेगा। इस तरह गंगा कुमारी की मेहनत आखिरकार रंग लाई और लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश पर गंगा कुमारी को नियुक्त किया गया है।
जालौर में मिली है गंगा कुमारी को पहली पोस्टिंग
25 वर्षीय गंगा कुमारी को राजस्थान के जालौर में कांस्टेबल के रूप में पहली पोस्टिंग मिली है। हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद वे उसी पुलिस लाइन पहुंच गई है जहां पर उनका मेडिकल करने से मना कर दिया गया था। गंगा कुमारी पोस्टिंग के लिए जालौर पुलिस लाईन पहुंच गई है और वह महिलाओं के साथ ट्रेनिंग लेने की तैयारी कर रही है। गंगा कुमारी के अनुसार उसे पुलिस की वर्दी पहनने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। गंगा कुमारी ने वर्ष 2015 को कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पास की थी। गंगा ने कहा कि उसके साथ पास हुए 207 अभ्यर्थियों को पोस्टिंग दे दी गई थी, लेकिन ट्रांसजेंडर होने के कारण पुलिस विभाग में उसकी फाइल अटक गई। इसके बाद गंगा ने वर्ष 2016 को अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने पिछले वर्ष नवम्बर में गंगा के पक्ष में फैसला देते हुए पुलिस विभाग को तुरंत पोस्टिंग देने का आदेश दिया। लेकिन तीन महीने के इंतजार के बाद भी उसे पोस्टिंग नहीं दी गई। इसके बाद गत जनवरी में गंगा ने फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया और गंगा को न्याय मिला। जालौर के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने कहा कि गंगा की हमारे यहां पोस्टिंग हुई है और अब गंगा को एक साल की पुलिस ट्रेनिंग लेनी होगी।
जालौर की रहने वाली है गंगा कुमारी
पुलिस विभाग में नियुक्त होने वाली गंगा कुमारी को कभी पुलिस विभाग ने नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया था क्योंकि पुलिस विभाग में इन्हें ट्रांसजेंडरों को नहीं रखा जा रहा था। जस्टिस दिनेश मेहता ने इस मामले को 'लैंगिक भेदभाव' करार देते हुए छह सप्ताह के अंदर नियुक्ति देने का आदेश दिया था। राजस्थान के जालौर जिले के रानीवारा इलाके की रहने वाली गंगा ने वर्ष 2013 में पुलिस भर्ती परीक्षा पास किया था। हालांकि, मेडिकल जांच के बाद उनकी नियुक्ति को रोक दिया गया था। जांच में पता चला कि गंगा कुमारी किन्नर हैं। इसके बाद उसकी नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी।
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