संविधान में जानवरों को मिले हैं ये कुछ खास अधिकार, आप भी जान लें

केरल में गर्भवती हथिनी के साथ हुई निर्मम हिंसा के बाद सभी में गुस्सा है। सोशल मीडिया (Social Media) पर लगातार लोग इस विरोध जता रहे हैं। सबसे ज्यादा साक्षरता वाले राज्य में ऐसे कृत्य ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। तीन दिन तक पानी खड़ी रही हथिनी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि इंसान जानवरों से भी गया गुजरा है। 

केरल (Kerala)के मल्लपुरम में हथिनी को लोगों ने अन्नानास में पटाखा भरकर खिला दिया जिससे वो बुरी तरह जख्मी हो गई थी। बुरी तरह से घायल हुई हथिनी ने फिर भी कसी को चोट नहीं पहुंचाई। वो तीन दिन तक वेलियार नदी में खड़ी रही जिसके चलते उस तक चिकित्सीय मदद पहुंचाने के सभी प्रयास असफल रहे। 

जानवरों के भी हैं कुछ अधिकार

इस घटना में कुछ लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली गई है और छानबीन जारी है। बता दें कि जानवरों पर होने वाली हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत जानवर को जहर देने, जान से मारने या नुकसान पहुंचाने पर दो साल तक की सजा और जुर्माना है। 

जानवरों को भी इंसानों की तरह संविधान (Constitution) में कुछ अधिकार मिले हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(ए) के मुताबिक, हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। जीव-जंतु अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं सकते। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी कि हम उनकी रक्षा करें।

भारतीय संविधान में ये हैं पशुओं के कुछ अधिकार

1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(ए) के मुताबिक, हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।

2. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी जानवर को मारे-पीटे सा उसपर उसकी क्षमता से ज्यादा बोझ डाले जिससे उसे तकलीफ हो तो ये अपराध है। 

3. पशुओं पर हो रहे अत्याचार और पीड़ा को रोकने के लिए पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 लागू करने का अधिकार है।

4. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में ये बात है कि कोई भी पशु (मुर्गी समेत) सिर्फ बूचडख़ाने में ही काटा जाएगा। बीमार और गर्भधारण कर पशु को मारना अपराध है और ऐसे पशुओं को छोड़ देने पर भी तीन महीने की सजा का नियम है। 

5. बंदरों की नाच व उनकी नुमाइश करवाना, उन्हें कैद में रखना गैरकानूनी है। 

6. अगर किसी एरिया में कुत्तों की संख्या ज्यादा है तो कोई भी व्यक्ति या स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन कर सकती है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें मारा नहीं सकता।

7. पशुओं को लडऩे के लिए भड़काना जैसे की कुछ राज्यों में त्योहार व रिवाजों के समय किया जाता है ये भी गैरकानूनी होता है। 

8. चिडिय़ाघर में जानवरों को परेशान कराना, उन्हें चिढ़ाना दंडनीय अपराध है। पीसीए के तहत ऐसा करने वाले को तीन साल की सजा, 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। 

9. पीसीए एक्ट के सेक्शन 22(2) के मुताबिक भालू, बंदर, बाघ, तेंदुए, शेर और बैल को मनोरंजन के लिए ट्रेंड करना और इस्तेमाल करना गैरकानूनी है। पक्षी या सरीसृप के अंडों को नष्ट करना या उनसे छेड़छाड़ करना या फिर उनके घोंसले वाले पेड़ को काटना या काटने की कोशिश करना भी गलत है। इसके दोषी को सात साल की सजा या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। किसी भी जंगली जानवर को पकड़ना और उसे मार देना दंडनीय अपराध है। इसके लिए भी सात साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों ही हो सकते हैं। 

10. प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11 (1) के अनुसार किसी भी पालतू जानवर को छोड़ने उसे भूखा रखने, तकलीफ देने पर केस दर्ज हो सकता है।

11. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है।

12. जानवरों पर हिंसा की खबरों को देखते हुए ही भारत सरकार ने 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। इसका एक मात्र लक्ष्य भी यही था कि वन्यजीवों के शिकार उनके खाल व मांस की ब्रिक्री पर रोक लगाना था। वर्ष 2003 में संशोधन किया गया। इसमें दंड और जुर्माना को और भी कठोर कर दिया गया है।

13. प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960 की धारा 11 (1) के तहत अगर किसी गोशाला, कांजीहाउस, किसी के घर में जानवर या उसके बच्चे को खाना और पानी नहीं दिया जा रहा तो यह अपराध है। जानवरों को लंबे समय तक किसी जंजीर या रस्से से बांधना भी गलत है। अगर आप जानवर को घर के बाहर नहीं निकालते तो यह भी कैद माना जाता है। ऐसे अपराध में तीन माह की जेल और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

14. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के मुताबिक जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का परीक्षण करना और जानवरों पर टेस्ट किये जा चुके कॉस्मेटिक्स का आयात करना भी प्रतिबंधित है जो कि अमूमन होता रहा है।

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