निपाह वायरस के मरीज़ों की सेवा करते हुए गई नर्स की जान, पति को लिखा ये आखिरी ख़त

सजीश, मैं अब आखिरी रास्ते पर हूं। मुझे नहीं लगता कि अब मैं दोबारा कभी तुम्हें देख पाऊंगी। हमारे बच्चों की अच्छे से देखभाल करना। तुम उन्हें कम से कम एक बार गल्फ (खाड़ी देश) ज़रूर ले जाना। हमारे पिता की तरह बिल्कुल अकेले मत रहना।' ये वो आखिरी ख़त है जो निपाह वायरस से जान गंवाने वाली नर्स लिनी ने अपने पति को लिखा था।
निपाह वायरस से पीड़ित मरीज़ों की सेवा करते हुए नर्स लिनी भी इस बीमारी की चपेट में आ गईं और अपने कर्तव्य को पूरा करते करते अपनी जान दे दी। जब उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि अब वो नहीं बच पाएंगी तब उन्होंने ये ख़त अपने पति के लिए लिखा और आखिरी वक़्त में भी अपने परिवार से नहीं मिल पाईं क्योंकि वो नहीं चाहती थीं कि उनके बच्चे या पति को भी ये बीमारी हो जाए। यहां तक कि उनकी शव यात्रा में उन्होंने अपने परिवार वालों को शामिल करने से मना कर दिया था। लिनी के दोनों बच्चे सिद्धार्थ (5) और रितुल (2) अपनी मां को आखिरी बार देख भी नहीं सके। उनके पति सजीश लिनी की बीमारी के बारे में सुनकर दो दिन पहले ही खाड़ी देश से वापस आए थे, वह वहीं नौकरी करते हैं।
केरल के पर्यटन मंत्री ने लिनी के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए फेसबुक पर उनका खत शेयर किया है जो वायरल हो रहा है। केरल के कोझिकोड जिले में फैले घातक और दुर्लभ निपाह वायरस के इंफेक्शन से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक पेरांबरा तालुक अस्पताल में कार्यरत नर्स लिनी (31) भी शामिल हैं।
लिनी के पड़ोसी ने टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क को बताया कि एक शख्स के बीमार पड़ने पर पेरंबरा अस्पताल में लिनी ने उसे शुरुआती ट्रीटमेंट दिया था लेकिन बाद में उस शख्स की मौत हो गई थी। कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि उनमें भी वही सारे लक्षण दिख रहे हैं जो उस व्यक्ति में थे। युनाइटेड नर्सेस असोसिएशन (यूएनए) के राज्य उपाध्यक्ष सुनीश एपी ने कहा, 'अपनी ड्यूटी निभाते हुई लिनी की मौत हो गई। सरकार को उनके परिवार के लिए मदद मुहैया करानी चाहिए। यूएनए के प्रतिनिधित्व लिनी के घर जाकर उनको अपना सहयोग देंगे।'
क्या है निपाह वायरस
यह वायरल चमगादड़ों से फैलता है और इसका असर इंसानों व जानवरों दोनों पर होता है। पहली बार इसकी पहचान 1998 में मलेशिया में हुई थी। भारत में भी जनवरी- फरवरी 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इस वायरस ने लोगों को अपनी चपेट में लिया था। तब 66 लोग इससे संक्रमित हुए थे जिसमें से 45 की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अप्रैल 2007 में पश्चिम बंगाल के ही नदिया में एक बार फिर इस वायरस का 7 लोगों में संक्रमण हुआ था, उन सातों लोगों की ही मौत हो गई थी।
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