बंदूक थामने वाले युवाओं को आईटीबीपी के जवान सिखा रहे हुनर, कुछ इस तरह बदल रहा नक्सलवाद का गढ़

बचपन से ही हथियारों व गलियों की आवाज के बीच में जीने वाले युवाओं को समाज की धारा में लाने के लिए आईटीबीपी के जवानों ने अनोखा तरीका निकाला है। गरीबी की वजह से नक्सलवाद की तरफ रूख करने वाले युवाओं को अब हुनरमंद बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के दूरदराज वाले इलाकों में गरीब युवाओं को हुनरमंद बनाने की बयार चल पड़ी है।
जी हां छत्तीसगढ़ में युवाओं को नक्सलवाद से बचाने के लिए इंडो-तिब्बतन बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) फोर्स ने छत्तीसगढ़ में CIPET रायपुर की मदद से एक अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान के तहत आईटीबीपी के अधिकारी एवं जवान दूरदराज गांवों के युवक-युवतियों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें अब प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के दूरदराज वाले इलाकों में युवाओं को CIPET के तहत उपलब्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम और रोजगार के अवसरों से वाकिफ कराया जा रहा हैं। आईटीबीपी के जवानों द्वारा 2017 में शुरू किए गए इस अभियान का असर अब देखने को मिल रहा है। इसका सुखद परिणाम भी छत्तीसगढ़ के दूरदराज व नक्सली इलाकों में देखने को मिल रहा है। जी न्यूज के अनुसार आईटीबीपी ने इस अभियान के जरिए 2017 में कुल 284 नामांकन कराए गए थे। इसमें नामांकन कराने वालों में 188 युवा और 96 युवतियां शामिल थे। इन लोगों को स्पशेल ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाने का काम किया गया है।
नक्सली इलाकों के 125 युवाओं को एक साल में मिला रोजगार
युवाओं को रोजगार सिखाने के लिए शुरू की गई पहल का असर ये रहा है कि नामांकन के सापेक्ष 125 युवाओं को देश की कम्पनियों में रोजगार मिल गया है। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय के अनुसार भोपाल स्थित केंद्रीय सीमांत मुख्यालय के महानिरीक्षक पी.एस.पापटा, बैंगलूरू क्षेत्रीय मुख्यालय के महानिरीक्षक देवेंद्र सिंह, उप महानिरीक्षक अशोक कुमार नेगी, कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में इस अभियान की शुरूआत की गई। उन्होंने बताया कि लगातार ये आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि आखिरकार कैसे करके इनकी स्थिति को सुधारा जाए आखिरकार इसका असर देखने को मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि अभियान के तहत राजनंद गांव के अति नक्सल प्रभावित दुर्गम क्षेत्रों के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों की जीवन शैली एवं मनोदशा में सुधार लाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास के अंतर्गत सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनिरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (CIPET) से अनुबंध किया गया। अनुबंध के तहत CIPET द्वारा चलाये जाने वाले विभिन्न व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में 284 युवक-युवतियों का नामांकन कराया गया। जिसमें से 125 युवक-युवतियों ने सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम को उत्तीर्ण किया। उत्तीर्ण करने वालों में 103 युवक और 22 युवतियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले सभी युवक-युवतियों को पुणे, बैंगलूरू, नासिक, रायपुर, कोयम्बटूर और भिलाई की प्रतिष्ठित कंपनियों में नौकरी थी दिलाई गई है। इन युवाओं को शुरूआत में ही 10,000 से 12,000 रूपये वेतन के रूप में मिल रहे हैं। इस तरीके से जिन युवाओं को कहीं पर कोई रोजगार नहीं मिल सकता था उन युवाओं का अब सपना साकार हो रहा है।
इस कदम से नक्सलवाद खत्म करने की तैयारी
युवाओं को हुनरमंद बनाकर उनका भविष्य संवराने में इस समय आईटीबीपी लगा हुआ है। छत्तीसगढ़ में सिर्फ आईटीबी के ही नहीं बल्कि अन्य सुरक्षा एजेंसियां व स्थानीय पुलिस यहां के युवाओं को पढ़ाई व अन्य माध्यमों से आगे बढ़ाने में जुटी हुई है। आईटीबीपी प्रवक्ता विवेक पांडेय के अनुसार इस अभियान को सफल बनाने के लिए बल के अधिकारियों ने दूरस्थ इलाकों तक पहुंचकर स्थानीय नौजवानों से सम्पर्क किया। उन लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि शुरूआत में शिक्षित व बेरोजगार युवाओं को पकड़ा गया। उन्हें बताया कि कैसे करके प्रशिक्षण पाकर सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सभी को CIPET रायपुर में चलाये जाने वाले विभिन्न व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा रोजगार की पूरी गांरटी लिए जाने का असर देखने को मिला।
आईटीबीपी की पहल एवं प्रयासो से जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद प्रभावित दुर्गम क्षेत्रो मे नक्सलियों के विरूद्व लडाई के साथ-साथ स्थानीय जनता के साथ सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित किया गया। जिससे जनता में सुरक्षा की भावना एवं बल के प्रति विश्वास बढ़ा। जनता की विचारधारा में परिवर्तन लाते हुए किशोरों को नक्सलवाद से बचाकर समाज की मुख्यधारा में शामिल कर लिया हैं। अब रोजगार प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाए जाने से और असर यहां के लोगों में देखने को मिल रहा है।
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