छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक विशेष प्रोजेक्ट की शुरुआत होने वाली है। यह एक सूक्ष्म सिंचाई परियोजना है जिसके तहत नहर में बहने वाले पानी का इस्तेमाल खेतों की सिंचाई में होगा और इससे बिजली भी बनाई जाएगी। बिजली बनाने के लिए नहर में टर्बाइन लगाई जाएगी, ताकि यहां के गांव रोशन हो सकें। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सिंचाई विभाग बिलासपुर के मरवाही क्षेत्र के छपराटोला जलाशय से हो रही है।
यहां जो नहर जलाशय से जुड़ी है, उस पर टर्बाइन लगाकर बिजली बनाई जाएगी। इस बिजली से आस-पास के गांव की स्ट्रीट लाइट्स जलेंगी। बैराज के पानी को लिफ्ट करने के लिए लगने वाले पंप भी इसी बिजली से चलेंगे। कहा जा रहा है कि अगर ये छोटा प्रयोग सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर अमल में लाया जाएगा।
देश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या बनी रहती है। यहां के सिंचाई विभाग ने जिम्मेदारी ली है कि बिजली की छोटी जरूरतों को छोटे प्रयासों से पूरा किया जा सके। छपराटोला जलाशय में पायलट केनाल तैयार किया जाएगा। इसमें छोटी टर्बाइन लगाई जाएगी। जैसे ही नहर में पानी छूटेगा टर्बाइन घूमने लगेगी। इस तरह विभाग छोटे पैमाने पर सुदूरवर्ती गांवों के निकट ही बिजली तैयार करता जाएगा।
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, छपराटोला क्षेत्र ऊंचाई में है। इसके बाद अरपा नदी में तेज ढलान है। यहां कम मात्रा में पानी छोड़ने पर भी टर्बाइन को घुमाने लायक जरूरी ताकत मिलेगी। इसमें खास बात यह है कि ऑफ सीजन (खेती सीजन नहीं) में भी बैराज से नहर में पानी छोड़े जाने पर वह फालतू नहीं बहेगा। छपराटोला के नीचे अरपा- भैंसाझार बैराज मौजूद है। टर्बाइन चलाने के लिए छोड़ा गया पानी कुछ किलोमीटर बहने के बाद इस बैराज में जमा होता जाएगा। इसका उपयोग इस जगह से दूसरी फसल के पानी देने या गर्मी के सीजन में तालाबों को भरने के लिए किया जा सकेगा।
सिंचाई विभाग टर्बाइन से हर दिन सात मेगावाट बिजली पैदा करने की तैयारी में है। इसे छपराटोला और आसपास के तीन गांवों में सप्लाई की जाएगी। खपत के अनुसार तय किया जाएगा कि और गांवों में इसका विस्तार किया जाए या नहीं। छोटी जरूरतों के लिए छोटे पैमाने पर भी बिजली स्थानीय स्तर पर बनाई जा सकती है। इसी सोच के तहत छपराटोला में इस प्रोजेक्ट को लाने की तैयारी है। इसमें छोटे टर्बाइन से हम बिजली बनाएंगे और पानी भी बेकार नहीं जाएगा।