5 ऐसी महिलाएं जिन पर देश को नाज़ है

हमारे देश में तमाम ऐसी महिलाएं हैं जो इतिहास रचती हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी भी हैं जिन्हें सदियां बीत जाने पर भी लोग याद रखते हैं। वैसे तो इस लिस्ट में सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं लेकिन आज महिला दिवस पर पढ़िए देश की पांच ऐसी महिलाओं के जिनके हौसले की मिसाल लोग अक्सर अपने घरों में देते हैं...
अवनी चतुर्वेदी
हाल ही में भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग आॅफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले मिग मिग-21 फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रचा है।अवनी अकेले एयरक्राफ्ट उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।

सुनीता ठाकुर
छत्तीसगढ़ की एएनएम (नर्स) सुनीता मगरमच्छों से भरी नदी इंद्रावती को नाव से पार करके गांववालों का इलाज करने जाती हैं। वह दांतेवाड़ा के इंटीरियर इलाकों में 7 साल से स्वास्थ्य सुविधाएं देने जा रही हैं। सुनीता बताती हैं, मैं खुद नाव से इंद्रावती नदी और घना जंगल पार करके गांववालों का इलाज करने जाती हूं। 8-10 किमी पैदल चलना पड़ता है और नाव भी कमजोर सी है लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी क्योंकि नर्स बनने का फैसला मेरा था, अब मरीजों की सेवा करना मेरा फर्ज है और मैं इससे पीछे नहीं हट सकती।

अरुणिमा सिन्हा
अंबेडकरनगर की अरुणिमा माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला हैं। अरुणिमा एक हादसे में बायां पैर खो चुकी हैं और दाएं पैर में लोहे की रॉड पड़ी है। उनके पैर खोने की कहानी भी बेहद दर्दनाक है। राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल प्लेयर अरुणिमा को लखनऊ से दिल्ली जाते वक्त कुछ लुटेरों ने चेन छीनने की कोशिश में ट्रेन से नीचे फेंक दिया था, इस हादसे के बाद वह उन्होंने अपने पैर खो दिए लेकिन हिम्मत नहीं हारी।

बछेंद्री पाल
जीके की किताबों में कई बार आपने बछेंद्री पाल का नाम पढ़ा होगा। बछेंद्री माउंट एवरेस्ट चढ़ने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं महिला हैं। उत्तरकाशी के एक गांव में किसान परिवार में जन्मीं बछेंद्री को पढ़ाई में काफी प्रतिभाशाली होने के बाद भी जब कोई नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने माउंटेनियरिंग का कोर्स किया। इसके बाद 23 मई 1984 को वह एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली पहली महिला बन गईं।

कल्पना चावला
फरवरी 2003 में कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने पर कल्पना चावला की उड़ान तो रुक गई लेकिन वह आज भी पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं। कल्पना अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थीं। कल्पना ने 1988 में नासा के लिए काम करना शुरू किया था और अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताए थे। अंतरिक्ष की दूसरी उड़ान के बाद लौटते वक्त कोलंबिया स्पेस शटल यान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मारे गए सात यात्रियों में कल्पना भी एक थीं।

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